पटनाः बचपन में जब हम अपने बड़ों के साथ खेलने की जिद्द करते थे, तो हमारा मन रखने के लिए हमें खेल में शामिल तो कर लेते थे, लेकिन हमारा दूध भात रहता था। दूध भात का मतलब होता था हम पर खेल के नियम और बंदिशें लागू नहीं होंगी। बिहार की NDA सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का भी दूध भात है। ये बात अलग है कि बचपन के खेल में हम बच्चों का दूध भात होता था, सियासत के इस खेल में गार्जीयन का दूध भात है। ये हम नहीं कह रहे, यह कह कहना है भाजपा नेता संतोष रंजन राय का।
भाजपा यूवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष रंजन राय ने हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा(HAM)प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए NDA में दूध भात की भूमिका तय की है। बीते रविवार को किए अपने एक ट्वीट में संतोष रंजन राय ने जीतन राम मांझी पर निशाना साधा है। उंहोंने ट्वीट किया है ‘आपकी कुंठा अभी तक ख़त्म नहीं हुई है आपका दुध भात है NDA के गार्जियन जीतन राम मांझीजी’।
आपकी कुंठा अभी तक खतम नहीं हुई है
आपका दुध भात है NDA के गार्जियन @jitanrmanjhi जी https://t.co/OGz0ujEZhH
— Santosh Ranjan Rai (@SantoshRanjan_) June 6, 2021
दरअसल संतोष रंजन राय का यह ट्वीट जीतन राम मांझी के उस ट्वीट के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा है कि वे केंद्र सरकार से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगे। जीतन राम मांझी ने ट्वीट किया है,’ कम संसाधनों के बावजूद माननीय नीतीश कुमार जी ने बिहार के बदतर क़ानून व्यवस्था और बेहाल शिक्षा महकमे को दुरुस्त करने में अपनी पुरी ताक़त लगा दी है। अब आधारभूत संरचना को ठीक करने के लिए विशेष राज्य के दर्जे की ज़रूरत है। डबल इंजन की सरकार में विशेष दर्जा नहीं मिला तो कभी नहीं मिलेगा’।
कम संसाधनों के बावजूद मा.@NitishKumar जी ने बिहार के बदतर क़ानून व्यवस्था और बेहाल शिक्षा महकमे को दुरुस्त करने में अपनी पुरी ताक़त लगा दी है।
अब आधारभूत संरचना को ठीक करने के लिए विशेष राज्य के दर्जे की ज़रूरत है।
डबल इंजन की सरकार में विशेष दर्जा नहीं मिला तो कभी नहीं मिलेगा।
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) June 5, 2021
बता दें, बिहार में मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार की यह चौथी पारी है। एक बार समता पार्टी और एक बार RJD को छोड़ दें, तो हर बार वे BJP के साथ चुनाव लड़े और NDA की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा रहे। इस बार भी NDA ने JDU का BJP से कम सीट होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन हालात अच्छे नहीं हैं। NDA का अंदरुनी कलह अक्सर सामने आते रहता है। घटक दल विपक्ष की बजाय एक-दूसरे पर ही निशाना साधने में मशगूल हैं।
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