उपराष्ट्रपति नायडू ने दिया COVID-19 से निपटने के लिए पांच सिद्धांतों को अपनाने का सुझाव

नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने COVID-19 से निपटने के लिए पांच सिद्धांतों को अपनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने सक्रिय जीवन शैली का नेतृत्व करने के लिए नियमित शारीरिक व्यायाम या योग करने का अह्वान किया है। इसके अलावें उन्होंने लोगों से ध्यात्मिक संतुष्टि की खोज करने, स्वस्थ पौष्टिक भोजन का सेवन करने, कोविड उपयुक्त व्यवहार जैसे, मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने व बार-बार हाथ धोने और हमेशा प्रकृति की रक्षा करने व प्रकृति के साथ समरसता में रहने की अपील की हैं।

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने समाज के वर्गों के बीच टीका लगाने को लेकर हिचकिचाहट  दूर करने का आह्वान ककरते हुए उन्होंने फर्जी खबरों का मुकाबला करने व COVID-19 से संबंधित मुद्दों पर मिथकों को दूर करने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत को रेखांकित किया है। लोगों में मानसिक तनाव और भय के प्रभाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि COVID-19 और टीकाकरण के बारे में गलत सूचना गंभीर चिंता का एक विषय है। उपराष्ट्रपति ने विभिन्न क्षेत्रों की शख्सियतों, डॉक्टरों और अन्य लोगों से डर को दूर करने और टीकाकरण के महत्व पर लोगों में जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया।

नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक भारतीय की सामाजिक जिम्मेदारी है कि वह खुद टीका लगवाए और दूसरों को टीका लेने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने आगे कहा कि टीकाकरण अभियान को एक जन आंदोलन बनना चाहिए और इसका नेतृत्व युवाओं को करना चाहिए।

महामारी के मद्देनजर व्यवहार में बदलाव की जरूरत पर जोर

इस बात को कहते हुए कि भारत ने बड़ी आबादी और पर्याप्त स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की कमी के बावजूद महामारी से निपटने में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्होंने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में एक अमूल्य भूमिका निभाने में वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य लोगों के प्रयासों की सराहना की। COVID-19 महामारी ने नियमित शारीरिक गतिविधि के महत्व को रेखांकित करते हुए नायडू ने कहा कि आधुनिक जीवन शैली व सुस्त आदतों ने कई गैर-संचारी रोगों के प्रसार को बढ़ा दिया है।

नायडू ने इस महामारी के मद्देनजर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और इसे समग्र रूप से संबोधित करने की आवश्यकता की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि ध्यान और अध्यात्म से जीवन को संतुलित बनाए रखने में सहायता मिलेगी। संतुलित आहार लेने के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने लोगों, विशेषकर युवाओं को फास्ट फूड की लत लगने के प्रति सावधान किया।

उपराष्ट्रपति ने व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने व्यक्तिगत स्वस्छता को जरूरी बना दिया। उन्होंने लोगों से टीकाकरण के बाद भी सावधानियों का पालन करने का आग्रह किया। यह देखते हुए कि भारतीय लोकाचार, प्रकृति के साथ प्रेम करना और उसके साथ समरसता में रहना है, उपराष्ट्रपति ने रहने की जगहों को अच्छी तरह हवादार और प्रकाश-युक्त रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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