प्रशासन को धोखा, कानून को ठेंगा और परिवार को जोखिम में डालते नोखा के लोग

रोहतासः कोरोना संकट से लोगों को बचाने के लिए देश में लगभग 2 महिने से लॉकडाउन है। लॉकडाउन में लोगों का कोई दिक्कत ना हो इसे लेकर सरकार अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रही है। इसका सही से पालन हो इसके लिए स्थानीय प्रशासन खुद की जान जोखिम डालकर 24 घंटे मुस्तैद है। लेकिन लोग हैं कि इस लॉकडाउन में हीं अमीर होने का ख़्वाब देखने लगे हैं। मामला जिले के नोखा बाजार का है जहां कुछ स्थानीय दुकानदारों ने जमकर लॉकडाउन का उल्लंघन किया।

प्रतिबंध के बावजूद भी नहीं मान रहे दुकानदार, धोखे से खोली जा रहीं दुकानें

बुधवार को कुछ लोगों से मिली सूचना के आधार पर जब हमारी टीम ने नोखा बाजार का जायज़ा लेना शुरू किया तो लॉकडाउन के दौरान कई वैसी दुकानें खुली पाई गईं जिनके खुलने पर सरकार ने अभी तक प्रतिबंध रखा है। इन दुकानों में रेडिमेड गारमेंट्स, किताब, टेलरिंग शॉप के अलावें पारचुन और जूते-चप्पल की दुकानें भी शामिल थीं।

लॉकडाउन में सटर गिराकर चल रहीं दुकानें, शोसल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां

सबसे खास बात तो यह है कि इन दुकानों में ना तो शोसल डिस्टेंसिंग (Social distancing) जैसा कुछ दिखा और ना ही उन मानकों का ख्याल रखा गया था, जो कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बेहद जरूरी बताया गया है। देखने के बाद ऐसा लगा लगा जैसे कोरोना का संकट अब टल गया है और सरकार ने मुनादी कर दी है कि आप अपने पहले वाले अंदाज में लौट आईए। वहीं कुछ दुकानें वैसी भी मिली जिनका बाहर से सटर पुरी तरह गिरा था लेकिन अंदर ग्राहकों भीड़ जुटी हुइ थी।

प्रखंड विकास पदाधिकारी ने दिखाई संवेदनहीनता

इस बाबत जब प्रखंड विकास पदाधिकारी नोखा (BDO Nokha) रामजी पासवान से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की गई, तो उनकी उदासिनता भी उजागर हो गई। कई बार रिंग होने के बाद भी उन्होंने फोन नहीं उठाया और ना ही बाद में फोन करके ये जानकी कोशिश की कि फोन किसने और किस परिस्थिति में किया है। बाद में इसकी सूचना जब स्थानीय थानाध्यक्ष को दी गई, तो उन्हों ने खुद केस के शिलशिले में कहीं होने की बात कहते हुए थाने पर मौजुद पुलिस टीम को तत्काल गश्त लगाने का निर्देश दिया।

थानाध्यक्ष के निर्देश पर पुलिस हुई ऐक्टिव

गश्त पर निकली पुलिस को देख दुकानवालों ने उस वक्त तो दुकान का सटर गिरा लिया, लेकिन जैसे-जैसे पुलिस आगे बढ़ती गई पीछे से दुकानों के सटर उठते चले गए। थानाध्यक्ष नरोत्तम चंद्र की मानें तो लोग पुलिस-प्रशासन के साथ चूहे बिल्ली का खेल रहे हैं। लगातार चेतावनी और अनुरोध के बाद भी लोग जान जोखिम में डालने से बाज नहीं आ रहे, लेकिन अब उनसे सख्ती से निबटा जाएगा।

लगातार गहराते जा रहा है कोरोना संकट

बहरहाल, देश, दुनिया, प्रदेश और जिले में भी कोरोना का संकट लगातार गहराते जा रहा है। धन-दौलत तो सब आते-जाते रहते हैं, लेकिन जीवन अनमोल है, ऐसे में लॉकडाउन का पालन करना और करवाना हर किसी की जिम्मेदारी बनती है। यह सरकार का तानाशाही फरमान नहीं बल्कि आम आदमी को कोरोना से बचाए रखने का एक तरिका है। अमेरिका जैसी महाशक्ति को देखिए और विचार कीजिए, अगर लॉकडाउन नहीं होता तो हम कहां होते ? सचेत रहिए, सजग करिए और कोरोना को हराइए, बच गए तो जीवन फिर से पटरी पर लौट आएगी।