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बोइंग ने पांच अपाचे हेलीकाप्टरों की आखिरी खेप वायुसेना को सौंपी

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत-चीन में जारी सैन्य तनाव के बीच भारतीय वायुसेना को बोइंग से हुए करार के तहत पांच बचे हुए अपाचे हेलीकाप्टर मिल गए हैं। इसी के साथ वायुसेना के बेड़े में अब दुनिया में अपनी श्रेणी के सबसे मारक 22 अपाचे हेलीकाप्टर आपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं। चीन से मुकाबले के लिए एलएसी पर अपाचे के साथ हाल ही में हासिल किए गए चिनूक हेलीकाप्टरों को तैनात किया गया है।

भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे गए 22 हेलीकाप्टरों में से आखिरी पांच को पिछले महीने बोइंग ने हिंडन एयर बेस पर आइएएफ को सौंप दिया। अमेरिकी कंपनी बोइंग ने शुक्रवार को बयान जारी कर करार के अनुरूप वायुसेना को सभी 22 अपाचे अटैक हेलीकाप्टरों की डिलेवरी पूरी करने की बात कही। 17 अपाचे हेलीकाप्टरों की आपूर्ति वायुसेना को पहले ही की जा चुकी थी। आखिरी पांच भी हिंडन एयर बेस पर बीते महीने सौंप दिए गए। इस तरह बोइंग ने वायुसेना के लिए हेलीकाप्टरों की खरीद के सौदे के तहत 22 अपाचे और 15 चिनूक समेत 37 हेलीकाप्टर मुहैया कराने का करार पूरा कर दिया है।

लड़ाकू हेलीकाप्टरों की आधुनिकतम श्रेणी में गिने जाने वाले अपाचे में कई खूबियां हैं और इसीलिए इसे फ्लाइंग टैंक भी कहा जाता है। एंटी टैंक मिसाइल से लैस यह हेलीकाप्टर पहाड़ी घाटियों में दुश्मन पर धावा बोलने के लिए खासतौर पर बेहद कारगर माना जाता है। इसीलिए एलएसी पर चीन के साथ मौजूदा तनाव को देखते हुए इसे विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख के अग्रिम मोर्चो पर तैनात किया गया है।
इन 22 हेलीकाप्टरों के दो अलग बेड़े बनाकर आधे को असम के जोरहाट वायुसेना बेस पर तैनात किया गया है। चीन की चुनौती को देखते हुए असम में इस बेड़े को रखा गया है।

दूसरा बेड़ा पंजाब के पठानकोट में है। जाहिर तौर पर पाकिस्तान की खुराफातों के मद्देनजर पश्चिमी सीमा की चौकसी के लिए इन्हें यहां रखा गया है। अटैक हेलीकाप्टर की श्रेणी में आधुनिकतम माने जाने वाला अपाचे अमेरिकी वायुसेना का भी हिस्सा है। चिनूक वायुसेना के लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टरों के बेड़े के लिए सैन्य साजो-समान से लेकर ईधन आदि पहुंचाने वाले ट्रांसपोर्ट हेलीकाप्टर है।
अपाचे हेलीकाप्टर हासिल करने का अमेरिकी कंपनी बोइंग के साथ भारत ने सितंबर 2015 में करार किया था।