पढ़िए- सेवानिवृत IPS प्रशांत करण का व्यंग लेख “अभिनन्दन कराने की ललक”

मुझे व्यवसायिक रूप से लिखते हुए कई वर्ष हो गए, अपना अभिनन्दन कराने की ललक लिए फिर रहा हूँ। इस बीच मेरे कई  जन्मदिन भी आए और चुपचाप चले गए। जन्मदिन मात्र फोन और सोशल मीडिया के संवाद तक ही सीमित रहे। कभी-कभार एक आध गुलदस्ता और कई बार एक-आध माले तक ही मामला सीमित रहा। न तो मेरा किसी तरह अभिनन्दन ही हुआ और न इसे कराने की मेरी योजना ही फलीभूत हुई।

मेरा मन बड़ा उद्वेलित है, दुःखी है। मैं भी अपने अभिनन्दन समारोह से धन्य होना चाहता हूँ। रामलाल जी ने कई ऐसे-वैसों का नागरिक अभिनन्दन तक करा चुके हैं। सोचा,उनसे कोई टोटका ले लूँ अथवा उनकी सीधी मदद, क्योंकि मेरा अगला जन्मदिन शीघ्र ही आने वाला है।

रामलाल जी से सम्पर्क कर उन्हें बिना किसी लाग-लपेट के सीधे बता दिया कि फलाँ दिन मेरा जन्मदिन है। इसे आप अभी से खूब प्रचारित करवा दीजिए और मेरा नागरिक अभिनन्दन न हो सके तो कोई मामूली सा अभिनन्दन समारोह करवा कर अखबारों और सोशल मीडिया में खूब ढिंढोरा पिटवा दीजिए। मैं अपनी तरफ से पूरे दस हज़ार रुपये खर्च के पैसे आपको नगद दे दूंगा और वह भी आयोजन के पहले ही।रामलाल जी की बात सुनकर मेरे होश उड़ गए।

रामलाल जी ने कहा-आप राजनीति में नहीं हैं, छुटभैये नेता तक नहीं हैं, सत्तासीन अथवा सत्ता की प्रतीक्षा में विपक्षी दलों के किसी टुच्चे नेताओं से आपके सम्बंध नहीं हैं। आप कोई सुन्दर महिला नहीं हैं। ऐसे में सफल अभिनन्दन समारोह में दर्शक मिलेंगे ही नहीं। आप कोई धार्मिक गुरु वगैरह भी नहीं हैं। धार्मिक उन्माद तक फैलाने में सक्षम नहीं हैं। धार्मिक दिखने के लिए वैसे अनुकूल परिधान भी नहीं पहनते। तब आप ही बताएं कि हम किस दम पर आपके अभिनन्दन का कोई कार्यक्रम रखें? और दस हज़ार में क्या होगा? टेंट आदि में ही लाखों खर्च होते हैं। आप जैसे मामूली लेखकों का अभिनन्दन कैसे हो सकता है? अच्छा आप अपना अभिनन्दन कराना ही क्यों चाहते हैं? कोई अकादमी या सरकारी पुरस्कार वगैरह लेने के फेरे में तो नहीं हैं? यदि यही बात है तो उसके तरीके कुछ और हैं।

पुरस्कार समिति के सदस्यों तक पंहुचना और उन्हें खरीदने का खर्च लाखों में आता है। आप पुरस्कार / सम्मान का नाम बताइए, हम आपको रेट बता देंगे। कइयों को इसी तरह ही मिला है, यह सभी जानते हैं। वैसे आजकल यह काम बड़ा मुश्किल भी हो गया है। आप सोच कैसे सकते हैं कि मात्र दस हज़ार रुपये खर्च कर आप सम्मानित हो जाएंगे या आपका अभिनन्दन हो जाएगा? अरे फूल-माला और मंच सजावट का ही बिल पचास हज़ार से कम नहीं होता है। जज्बाती मत होइए।

मैंने रामलाल जी से कहा-आप इतना तो कर सकते हैं कि मेरे जन्मदिन की सूचना अखबारों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ,सोशल मीडिया,साहित्यिक मंचों, साहित्यिक संगठनों आदि में हल्ला मचवा दीजिए कि फलाने दिन मेरा जन्मदिन है। सम्भव है लोग आ जाएं और मेरा अभिनन्दन कर डालें। फूल मालाओं  और हल्के नाश्ते के लिए यह दस हज़ार रुपये रख लें। रामलाल जी ने साफ कहा- देखिए, आप तो जानते ही हैं कि आपके जन्मदिन की खबर छपवाने, टीवी आदि में चलवाने में रिपोर्टरों पर खर्च करना पड़ता है। उनके खाने और उन्हें पिलाने आदि की व्यवस्था में ही तो इतने खर्च हो जाएंगे। फिर आपको बधाई देकर माला पहनाने अथवा बुके देने तथा उनके हल्का नाश्ते का खर्च कहाँ से आएगा? आप व्यंग लिखते हैं। लोगों और व्यवस्था के पोल खोलते रहते हैं तो आपके अभिनन्दन के नाम पर तो चन्दा भी नहीं मिलेगा।

मैं रामलाल जी के यहाँ से हताश होकर लौट आया हूँ।उदास बैठा हूँ। लगता है कि इस साल भी मेरा जन्मदिन ऐसे ही रूखे-सूखे बिना अभिनन्दन के ही बीत जाएगा।यह सोचकर कि इस साल भी मेरे जन्मदिन पर मेरा फिर से कोई अभिनन्दन नहीं हो पाएगा,मेरी सेहत खराब होने लगी है। खराब सेहत का हवाला सार्वजनिक कर अभिनन्दन कराने  की मेरी योजना पिछले वर्ष ही फेल हो चुकी है। कई तो यह कहकर चले गए थे कि हमलोगों की बखिया उधेड़ता है अच्छा है टें बोल ही जाए। पर मैं पूरा स्वस्थ हूँ। बिगड़ती तबियत का टोटका भी काम नहीं करेगा।

Prashant Karan IPS, IPS Prashant Karan,
लेखक प्रशान्त करण सेवानिवृत IPS अधिकारी हैं।
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