पाकिस्तान बना दूसरा अफगानिस्तान, मौलवी के आदेश पर तोड़ी भगवान बुद्ध की मूर्ति

पेशावर: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भगवान गौतम बुद्ध की एक दुर्लभ मूर्ति खेत से खुदाई के दौरान मिली। इसे एक स्थानीय मौलवी के कहने पर लोगों ने टुकड़े-टुकड़े कर दिया।

प्रतिमा मरदन जिले के तख्तबई तहसील में एक खेत में खुदाई के दौरान मिली थी। उसे एक स्थानीय मौलवी के आदेश पर नष्ट कर दिया गया। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग प्रतिमा को हथौड़े से तोड़ते नजर आ रहे थे।

मूर्ति गांधार सभ्यता की

डॉन अखबार के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा के पुरातत्व विभाग के निदेशक अब्दुल समद खान ने रविवार को बताया कि मूर्ति के टुटे हिस्सों को बरामद कर लिया गया है। इसके पुरातत्व महत्व का आंकलन किया जा सके।

खान ने बताया कि जाहिर तौर पर यह प्राचीन मूर्ति है और हमने इसे खो दिया। मूर्ति गांधार सभ्यता की थी और लगभग 1,700 साल पुरानी थी। पुलिस ने उस क्षेत्र को घेर कर अपने कब्जे में ले लिया है। खान ने मूर्ति तोड़े जाने को “अपराध” करार दिया और कहा कि “किसी भी धर्म का अनादर असहनीय है।”

ठेकेदार और मजदूर गिरफ्तार

पुलिस ने ठेकेदार कमर जामन और उसके मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से प्रतिमा के कुछ टुकड़े बरामद किए गए हैं। पर्यटन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस को मामले की सूचना दी थी।

गौरतलब है कि श्रीलंका, कोरिया और जापान के लोगों के लिए तख्तबई इलाका पर्यटन स्थल है। यह क्षेत्र उपमहाद्वीप के इतिहास में गांधार सभ्यता की शुरुआती शहरी बसावटों में से एक है। खैबर-पख्तूनख्वा का प्राचीन नाम गांधार है और इस क्षेत्र के लिए बौद्ध अनुयायियों के मन में अपार श्रद्धा है।

पहले भी मिल चुकी है बुद्ध मूर्ति

2017 में हरिपत जिले के भमाला में पुरातात्विक स्थल पर बुद्ध की दो प्राचीन और दुर्लभ प्रतिमाएं निकली थीं। इस स्थल पर निकली सबसे बड़ी प्रतिमा बुद्ध की मृत्यु को दर्शाती है। और दूसरी प्रतिमा दोहरे प्रभामंडल वाली थी। मृत्यु को दर्शाने वाली प्रतिमा अपनी तरह की दुनिया में सबसे प्राचीन प्रतिमा है। अमेरिकी प्रयोगशाला ने इसकी पुष्टि करते हुए इसे तीन शताब्दी ईसा पूर्व से भी पुरानी बताया है।