मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में क्या कहती हैं स्टडी?

नई दिल्ली: विश्व इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर गया है, लेकिन अभी भी शारीरिक स्वास्थ्य को मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक तरजीह दी जाती है। इस वक्त भी मानसिक तंदुरुस्ती को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है। हालांकि विश्व में किए गए कई स्टडी में यह साबित हो चुका है कि व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी है और मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावी उपचार के लिए जागरूकता होना बेहद जरूरी है।

मानसिक बीमारी के कारण में तीन प्रमुख जीव वैज्ञानिक कारण होते हैं। WHO द्वारा संग्रहीत आंकड़ों से दिखाया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से उत्पन्न भार और देशों में उनकी रोकथाम और इलाज के लिए उपलब्ध संसाधनों के बीच एक बड़ी खाई है। यह संगठन मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने और बढ़ावा देने में सरकारों को सहयोग प्रदान करता है। मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए सरकारों के साथ प्रभावकारी रणनीतियों को नीतियों और योजनाओं में एकीकृत करने के लिए काम कर रहा है।

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NCBI के अनुसार, “मेडिटेशन किसी व्यक्ति को गैर प्रासंगिक जानकारी को अनदेखा करते हुए आगे की प्रक्रिया के लिए विशेष इनपुट पर चयन करने और ध्यान केंद्रित करने में सहायता प्रदान करता है।”

क्या कहते हैं लेखक रसेल रेवलिन

लेखक रसेल रेवलिन ने ‘कॉग्निशन: थ्योरी एंड प्रैक्टिस’ में बताया है, “रोजाना की जिंदगी में किसी एक चीज पर अपनी एकाग्रता बनाए रखने के लिए हमें अन्य घटनाओं को फिल्टर करना चाहिए। हमें कुछ घटनाओं पर स्वयं को केंद्रित करने के लिए सलेक्टिव होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि ध्यान एक संसाधन है जिसे उन घटनाओं को वितरित करने की आवश्यकता होती है।”

मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रोग या दुर्बलता का उपचार, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तरीकों से अच्छी तरह से किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कहा जा सकता है कि इससे व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है। यह सेल्फ कॉन्फिडेंस आता कि वे जीवन के तनाव के साथ सामना कर सकते हैं। इसका पॉजिटिव अर्थ में यह भी माना जा सकता है कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अच्छी तरह से किसी भी कार्य को कर सकता है। अतः यह एक समुदाय के प्रभावी संचालन की नींव है।

डिप्रेशन के कारण होते हैं हृदय और रक्तवाहिकीय संबंधी रोग

शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य का निकट संबंध है और यह निस्संदेह रूप से सिद्ध हो चुका है। डिप्रेशन के कारण हृदय और रक्तवाहिकीय संबंधी रोग होते हैं। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी बर्तावों को प्रभावित करते हैं और इस तरह शारीरिक रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं। मानसिक बीमारी के कारण बेरोजगारी, गरीबी, नशे संबंधी सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं।

योग या ध्यान की सहायता से मानसिक स्वास्थ्य को बनाएं बेहतर

मानसिक बीमारी से जुड़ी कलंक की भावना के कारण सामाजिक पहलुओं में भेदभाव होता है। कई दफा चिकित्सा सहायता लेने में देर प्रमुख वजह होती है। मानसिक स्वास्थ्य को अधिक मजबूत बनाने के लिए योग या ध्यान की सहायता से बहुत आसानी से निपटा जा सकता है। योग एक सनातन स्वास्थ्य पद्धति है और यूनेस्को ने इसे 2016 में इनटेंजिबल यूनेस्को हेरिटेज में शामिल किया। इस वैज्ञानिक और पारंपरिक पद्धति के जरिये मानसिक बीमारी से बचा जा सकता है।

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लोग मानते हैं कि मानसिक रोग उन लोगों में होते हैं, जो मानसिक रूप से कमजोर होते हैं या वे भटकती आत्माओं के चंगुल में आ जाते हैं। कई लोग यह भी मानते हैं कि मानसिक बीमारी का इलाज असंभव है। कई लोगों की मान्यता है कि मानसिक रोगों के इलाज के लिए प्रयुक्त दवाओं के कई दुष्प्रभाव होते हैं और उनकी लत पड़ सकती है। इन गैर वैज्ञानिक विचारों से स्वयं को दूर रखकर विज्ञान सम्मत विधियों को बचाव और इलाज के लिए अपनाना चाहिए। इसे अमेरिका के बड़े संस्थानों ने मान्यता दी है।

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक