लखनऊः उत्तर प्रदेश में शराब निर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार शराब उद्योग स्थापित करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। शराब निर्माण के नासिक मॉडल से संकेत लेते हुए, आबकारी विभाग ने हाल ही में प्रदेश में शराब उद्योग स्थापित करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए शराब निर्माता संघ से मुलाकात की थी। महाराष्ट्र में नासिक भारतीय शराब उत्पादन के केंद्र के रूप में उभरा है।
बता दें, उत्तर प्रदेश अब उपोष्णकटिबंधीय फलों के अधिशेष उत्पादन का दावा करता है, जिसका शराब बनाने में तेजी से उपयोग किया जा रहा है। लेकिन शराब निर्माण की नीति रखने वाले राज्य के पास अब तक एक भी इकाई नहीं है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव, आबकारी, संजय भूसरेड्डी के अनुसार, “यूपी में आम, जामुन, कटहल, अमरूद, अंगूर, लीची, आंवला और पपीता जैसे कई उपोष्णकटिबंधीय फल बड़ी मात्रा में उगाए जाते हैं, जिन्हे पूरी तरह से उपयोग भी नहीं किया जाता। उचित भंडारण सुविधा के अभाव में उपज बर्बाद हो जाती है।”
भूसरेड्डी ने कहा कि, “अगर यहां वाइनरी स्थापित की जाती हैं, तो उद्योग को प्रोत्साहन के माध्यम से बढ़ावा मिलेगा, किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा और राज्य को शराब की बिक्री से राजस्व अर्जित होगा। सभी फलों का भी उपयोग किया जाएगा।”
आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी. ने कहा, ”एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत आबकारी विभाग उन जिलों की पहचान करेगा जहां फलों की खेती अधिक है, और उपज का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जाता है ताकि ऐसे क्षेत्रों में वाइनरी स्थापित की जा सकें।”
ऑल इंडिया वाइन प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश होल्कर ने यूपी सरकार को आश्वासन दिया है कि वह राज्य में वाइनरी स्थापित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहनों के बारे में संभावित निवेशकों को अवगत कराएंगे।