पुरीः मानसून के कारण हो रही भारी बारिश के बीच सोमवार को जगन्नाथ मंदिर (Jagannath temple) का नीलचक्र ठनका की चपेट में आ गया, जिससे उसमें लगा बांस उखड़ गया और झंडा नीचे गिर गया। हालांकि मंदिर को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है और नीलचक्र में छोटा झंडे बचने के कारण महाप्रभु श्री जगन्नाथ की नीतियों पर भी कोई असर नहीं पड़ा।
बताया जाता है कि बिजली कड़कने की आवाज इतनी तेज थी कि मंदिर के आसपास के लोग भी डर गये। लोगों का कहना है कि पुरातत्व विभाग की ओर से अर्थिंग लगाये जाने के कारण ठनका गिरने से श्रीमंदिर को कुछ क्षति नहीं पहुंचा है। यदि यह अर्थिंग नहीं होती तो यह संभव था कि श्रीमंदिर की सरंचना को नुकसान पहुंचता।
इधर, इस घटना को लेकर लोग अपने-अपने नजरिये से देख रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह सब कुछ अनहोनी का संकेत है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि श्रीमंदिर को क्षति नहीं पहुंचना एक सकारात्मक संकेत भी है।
लोगों का कहना है कि यह महाप्रभु श्रीजगन्नाथ के ताकत का ही प्रभाव है कि बिजली मंदिर की सरंचना को छू भी नहीं पायी। उन्होंने कहा कि एक यह भी संकेत मिला कि महाप्रभु की रथयात्रा निकलेगी, क्योंकि इतनी बड़ी बिजली को निष्क्रिय कर महाप्रभु ने संकेत दिया है कि कोई विपदा नहीं आ सकती है। हालांकि जो लोग इसके विपरीत सोच रहे हैं, उनका मानना है कि कुछ अनहोनी की संभावना के दौरान ही इस तरह की घटनाएं होती हैं। हाल ही में दो बार बाज को भी नीलचक्र पर बैठे हुए देखा गया था।
बता दें ठनका की चपेट में आने वाला निलचक्र बहुत ही अद्भुत है। इसे बारे में कहा जाता है कि इसे किसी भी दिशा में खड़े होकर देखने पर वह हमेशा सामने ही नजर आता है। वहीं झंडा के बारे में कहा जाता है कि प्रकृति के विपरीत मंदिर (Jagannath temple) के शिखर पर लहराता झंडा हमेशा हवा के उल्टी दिशा में रहता है।