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अब खेतों की पराली टेंशन नहीं, अतिरिक्त आय का माध्यम बनेगी- पीएम मोदी

नई दिल्लीः अब खेतों की पराली आपके लिए आपके लिए बोझ नहीं बल्कि पैसा कमाने का श्रोत बन जाएगी। अब तक जिस पराली को खेतों में जलाकर पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे थे वह रोजगार के अवसर प्रदान करेगी। यह कहना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। मोदी ने ये बाते बुधवार को विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हरियाणा के पानीपत में दूसरी पीढ़ी (2जी) इथेनॉल संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित करने के दौरान अपने संबोधन में कही।

प्रधानमंत्री ने विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर लोगों को बधाई दी और इथेनॉल प्लांट के फायदों को गिनाया। उन्होंने इसे महज शुरुआत बताते हुए कहा कि इस प्लांट से दिल्ली, हरियाणा और एनसीआर में प्रदूषण कम होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रकृति की पूजा करने वाले हमारे देश में बायोफ्यूल या जैविक ईंधन, प्रकृति की रक्षा का ही एक पर्याय है। हमारे किसान भाई-बहन तो इसे और अच्छी तरह समझते हैं। हमारे लिए जैव ईंधन यानि हरियाली लाने वाला ईंधन, पर्यावरण बचाने वाला ईंधन है। उन्होंने कहा कि इस आधुनिक संयंत्र की स्थापना से हरियाणा के किसानों  के लिए पराली अतिरिक्त आय का माध्यम बनेगी, जहां चावल और गेहूं बहुतायत में उगाए जाते हैं। पानीपत के जैविक ईंधन प्लांट से पराली का बिना जलाए भी निपटारा हो पाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई फायदे एक साथ होंगे। पहला फायदा तो ये होगा कि पराली जलाने से धरती मां को जो पीड़ा होती थी, उस पीड़ा से धरती मां को मुक्ति मिलेगी। दूसरा फायदा ये होगा कि पराली काटने से लेकर उसके निस्तारण के लिए जो नई व्यवस्था बन रही है, नई मशीनें आ रही हैं, ट्रांसपोर्टेशन के लिए नई सुविधा बन रही है, जो ये नए जैविक ईंधन प्लांट लग रहे हैं, इन सबसे गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

तीसरा फायदा होगा कि जो पराली किसानों के लिए बोझ थी, परेशानी का कारण थी, वही उनके लिए, अतिरिक्त आय का माध्यम बनेगी। चौथा फायदा ये होगा कि प्रदूषण कम होगा, पर्यावरण की रक्षा में किसानों का योगदान और बढ़ेगा। और पांचवा लाभ ये होगा कि देश को एक वैकल्पिक ईंधन भी मिलेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे संयंत्र लगाए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने बिना किसी का नाम लिए पहले की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों में राजनीतिक स्वार्थ के लिए शॉर्ट-कट अपनाकर, समस्याओं को टाल देने की प्रवृत्ति होती है, वो कभी समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं कर सकते। शॉर्ट-कट अपनाने वालों को कुछ समय के लिए वाहवाही भले मिल जाए, राजनीतिक फायदा भले हो जाए, लेकिन समस्या कम नहीं होती। उन्होंने कहा कि शॉर्ट-कट अपनाने से शॉर्ट-सर्किट अवश्य होता है। शॉर्ट-कट पर चलने के बजाय हमारी सरकार समस्याओं के स्थायी समाधान में जुटी है। पराली की दिक्कतों के बारे में भी बरसों से कितना कुछ कहा गया। लेकिन शॉर्ट-कट वाले इसका समाधान नहीं दे पाए।

प्रधानमंत्री ने उन कदमों के बारे में बताया जिनका उद्देश्य समस्या को व्यापक तरीके से हल करना है। उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को ‘पराली’ के लिए वित्तीय सहायता, पराली के लिए आधुनिक मशीनरी पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी गई और अब यह आधुनिक संयंत्र इस समस्या का स्थायी समाधान प्रदान करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, “पराली जलाने की मजबूरी में जिन किसानों की बदनामी हुई, वे अब जैव-ईंधन के उत्पादन और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का गौरव महसूस करेंगे।” प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए आय के वैकल्पिक साधन के रूप में गोवर्धन योजना के बारे में भी चर्चा की।

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