पितृपक्ष 1 सितंबर से होगा शुरू, कोरोना के कारण गया का पितृपक्ष मेला रद्द

इस बार पितृपक्ष 1 सितंबर से शुरू हो रहा है और 17 सिंतबर तक रहेगा। श्राद्ध के इन दिनों में लोग श्राद्ध कर्म करते हैं। लोग अपने -अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान करते हैं। आश्विन कृष्ण पक्ष का 15 दिन का समय पितृपक्ष कहा जाता है। इन दिनों को खास पितरों को याद किया जाता है। इस प्रकार अपने मृत पूर्वजों अर्थात पितरों को संतुष्ट करने के लिए किया जाने वाला पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान जो श्रद्धा के साथ किया जाए वह श्राद्ध है।

कोरोना के कारण गया का पितृपक्ष मेला रद्द किया गया

पितृपक्ष मेला के दौरान गयाजी के पंचकोसी में 54 पिडंवेदियां हैं, जहां श्रद्धालु अपने पितरों को पिडंदान व तर्पण करते हैं। प्राचीन काल से चली आ रही पितृश्राद्ध की यह धार्मिक परंपरा आज भी जीवंत है। लाखों की संख्या में लोग आते हैं। लेकिन ईस साल कोरोना के कारण पितृपक्ष मेला को रद कर दिया गया है।

ऐसे में ऑनलाइन पिडंदान की व्यवस्था को कुछ लोग विकल्प बता रहे हैं। मगर गयाजी का पंडा समाज ऑनलाइन पिंडदान को धार्मिक मान्‍यता नहीं देता। इसके कई कारण पंडे बता रहे हैं।

ऑनलाइन पिंडदान शास्‍त्रानुकूल नहीं

गयाजी का पंडा समाज ऑनलाइन पिंडदान को वैधानिक, व्यवहारिक और शास्त्रानुकूल नहीं मानता। गया जी में पिडंदान की धामिर्क मान्यता यह है कि….पुत्र पिंड परियोजनम….।

यहां सात गोत्र को ही पिंड दिया जाता है, जिनमें नाना-नानी, मौसा-मौसी,फूफा-फूआ,बहन-बहनोई, सास-ससुर, गुरु और फिर स्वयं के खानदान हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार कोई तीसरा व्यक्ति कैसे कुल का पिंडदान करेगा। पीतल किवाड़ वाले गयापाल पंडा महेश लाल गुपुत ने स्पष्ट कहा कि शास्त्र बताता है कि पिता जी को तर्पण फल्गु नदी मे करने से ही मुक्ति होती है। यहां पिडंदान करते वक्त जिनके निमित होता है उनका नाम लिया जाता है।

करीब 30 करोड़ रुपये का होगा नुकसान

कोरोना महामारी को लेकर सरकार ने पितृपक्ष मेले पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये मेला 1 सिंतबर से प्रारंभ होकर 17 सिंतबर तक चलना था। मेले पर प्रतिबंध लगने से करीब 30 करोड़ रुपये के कारोबार पर असर पड़ेगा।

पितृपक्ष की तिथियां

पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध) 1 सितंबर 2020

दूसरा श्राद्ध 2 सितंबर

तीसरा श्राद्ध 3 सितंबर
चौथा श्राद्ध 4 सितंबर
पांचवा श्राद्ध 5 सितंबर
छठा श्राद्ध 6 सितंबर
सांतवा श्राद्ध 7 सितंबर
आंठवा श्राद्ध 8 सितंबर
नवां श्राद्ध 9 सितंबर
दसवां श्राद्ध 10 सितंबर
ग्यारहवां श्राद्ध 11 सितंबर
बारहवां श्राद्ध 12 सितंबर
तेरहवां श्राद्ध 13 सितंबर
चौदहवां श्राद्ध 14 सितंबर
पंद्रहवां श्राद्ध 15 सितंबर
सौलवां श्राद्ध 16 सितंबर
सत्रहवां श्राद्ध 17 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या).