नई दिल्ली: किसानों के चल रहे लंबे आंदोलन को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे दिन की बहस के बाद नये कृषि कानूनों को अमल में लाने से रोक दिया और चार विशेषज्ञों की कमेटी बना दी। हालांकि किसान संगठन हटने को तैयार नहीं है।
कल ही दी थी चेतावनी
शीर्ष अदालत ने कल ही कहा था कि अगर सरकार ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक नहीं लगाई तो वो खुद इसे स्थगित कर देगा और यही हुआ भी। इससे सरकार को यह फायदा हुआ कि अब यह कह सकती है कि जब देश में कृषि कानून लागू ही नहीं है तो किसान आंदोलन की जरूरत क्या? यानी अब किसान आंदोलन से सरकार का कोई लेनादेना नहीं रह गया। केवल आंदोलन स्थल पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी जरूर है।
बना दी कमेटी
कोर्ट ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन भी किया है। समिति ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमिटी के सदस्य के तौर पर सुझाए हैं। यह टीम किसान नेताओं से बात कर अपनी राय कोर्ट को देगी।
किसान फैसले से खुश नहीं
हालांकि किसान संगठनों के नेता इस फैसले और समिति गठन से खुश नहीं हैं। राकेश टिकैत ने साफ कहा कि समिति के सदस्य तो इन कानूनों के ही निर्माता हैं सो वे कितना न्याय कर पायेंगे। किसान संगठन इन कानूनों की वापसी से कम नहीं चाहते।