नीतीश जी सुनिए अपने अस्पतालों का रोना- जब खुद ही हैं बीमार, तो कोरोना कैसे करें ना

पटनाः नीतीश जी कोरोना पर आपकी चिंता वाजिब है, लेकिन इससे लड़ने के लिए सिर्फ अख़बार के पन्ने या समाचार चैनलों के स्क्रीन पर सलाह ही नहीं दूसरे कई कदम हैं जो आपको समय रहते उठा लेने चाहिए। जैसा कि WHO और दूसरी अन्य संस्थाएं कोरोना को रोकने के लिए लगातार अपनी एडवाइजरी में साफ-सफाई पर ध्यान देने कि बात कर रहे है, आपको चाहिए कि उनको सुनें समझें और अमल में लाएं। कुछ दिनों के लिए ही सही कागजों से इतर जमीन पर सफाई कार्य संपन्न करवाईए। बाकि बाद में जैसे चलता है वैसे चलवाते रहिएगा।

जुन-जुलाई में मुजफ्फरपुर के अस्पतालों से उठने वाली वो हृदयविदारक चित्कार तो आपको याद ही होगी। कितने मासूमों की जान चली गई थी। कितना प्रेशर बना था एक जिले भर की महामारी से निपटने में, लेकिन यह महामारी उससे कई सौ गुना बड़ी है, जाहिर है इससे निपटने में आपको बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। आप पर ज्यादा प्रेशर ना पड़े इसलिए अभी से आपको अपने अस्पतालों को दुरुस्त करना होगा।

आपको पता तो होगा ही और अगर नहीं है, तो मैं आपको बता दूं…आपके कुछ अस्पतालों को छोड़ दे, तो प्रदेश के लगभग सभी सरकारी अस्पताल खास कर जो प्रखंड स्तर पर बने हैं वो खुद ही कोरोना से ज्यादा गंभीर संक्रमण के शिकार हैं। उन में अच्छे और जानकार डॉक्टर हैं, कंपाउंडर हैं, नर्सें हैं, लेकिन इलाज की सुविधा के नाम पर चारो खाने चित्त हैं।

सैनेटाइजर और मास्क तो फिर भी लोग बाजार से ख़रीद लेंगे, लेकिन दूसरी सुविधाओं का क्या? आपको पता है कोरोना पिड़ितों में सांस की तकलीफ़ होती है उनको जिन्दा रखने के लिए दवा के साथ-साथ आक्सीजन की भी जरूरत पड़ती है, लेकिन आक्सीजन तो छोड़िए साहब एक अदद BP चेक करने वाली मशीन तक नहीं होती है आपके अस्पतालों में। डॉक्टरों को आज भी पुराने जमाने के वैद्य की तरह नब्ज़ टटोलकर ही ब्लड प्रेशर जानना पड़ता है। रही बात आईसोलेशन वार्ड की तो ये बहुत बड़ी बात हैं यहां तो ढंग के साफ-सुथरे बेड तक नहीं हैं।

छोटी मोटी बिमारियां या दुर्घटनाएं होती हैं तो आपके अस्तापल उसे संभाल लेते हैं। घंटे दो  घंटे लोग किसी तरह से वहां भर्ती भी रह लेते है, लेकीन जब बात कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की हो, तो आइसोलेशन वार्ड, साफ सफाई और दूसरी अन्य सुविधाएं बेहद जरुरी है इसलिए मुझे नहीं लगता कोरोना से निपटने में आपके अस्पताल किसी भी तरह से सक्षम हैं।

खैर अभी वक्त है आपके पास आप आंखे खोलिए, कान से पर्दे हटाइए और अपने अधिकारीयों को निर्देश दीजिए कि वो कुछ दिन के लिए ही सही ईमानदारी बरतें, देश, समाज और आम आदमी के प्रति अपनी जवाबदेही को समझें। वो अपने कोटरों से बाहर निकलें और उन सभी बिन्दुओं पर ध्यान दें जो कोरोना को रोकने में सहायक हैं, बाकी हम जनता अपने जान कि हिफाजत करना जानते हैं और करते भी रहे हैं।

अभय पाण्डेय
अभय पाण्डेय
आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।