क्या भारत में है मानसिक रोग के सबसे अधिक मरीज, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े

नई दिल्ली: दुनिया में सबसे अधिक मानसिक रोगी भारत में है।  राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 में पाया गया कि भारत की लगभग 14% आबादी को सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इनमें डिप्रेशन के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। हर साल लगभग 2,00,000 भारतीय अपनी जान लेते हैं। अगर कोई आत्महत्या के प्रयासों की संख्या को शामिल करना शुरू कर दे तो आंकड़े और भी अधिक हो जाते हैं।

2017 के आंकड़ों को मुताबिक भारत में डिप्रेशन के मरीज 3.58 फीसदी, एंजाइटी के मरीज 3.3 प्रतिशत, शराब पीने के विकार के मरीज 1.13 प्रतिशत, बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीज 0.56 फीसदी, ड्रग्स लेने वाले मरीज 0.53 प्रतिशत, स्कीजोफ्रीनिया के मरीज 0.26 फीसदी और भोजन विकार के मरीज 0.16 प्रतिशत थे। यह अनुमान है कि 2017 में दुनिया भर में 97 करोड़ लोग मानसिक रोग से पीड़ित थे।

एक अध्ययन के अनुसार अमेरिकी युवाओं में जनवरी-जून 2019 के बीच एंजाइटी के लक्षण 8.2 प्रतिशत, डिप्रेशन के लक्षण 6.6 फीसदी और एंजाइटी एवं डिप्रेशन के लक्षण 11.0 फीसदी थे। ये कोरोना के दौरान 14 से 19 मई 2020 के बीच असामान्य रूप से बढ़कर क्रमश: 28.2 प्रतिशत, 24.4 फीसदी और 33.9 प्रतिशत हो गये। जून के अंत में 40 फीसदी अमेरिकी युवा मेंटल हेल्थ से जूझ रहे थे।

वहीं, 60,000 से अधिक अमेरिकी स्वास्थ्यकर्मी COVID-19 मरीजों के संपर्क में आये। इसमें 300 की मौत हुई। आंकड़ों के अनुसार COVID-19 के दौरान मरीजों का इलाज कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों में से 50 फीसदी में डिप्रेशन के और 45 प्रतिशत में एंग्जाइटी के लक्षण दिखे। COVID के दौरान एंजाइटी, डिप्रेशन, अनिद्रा से 40% लोग पीड़ित थे, जिनमें योग के प्रयोग से 80% कमी देखने को मिली।

ध्यान के परिणाम स्वरूप गंभीर अनिद्रा में गिरावट 82 प्रतिशत, हेल्थ रिलेटेड क्वालिटी में सुधार 77 फीसदी, डिप्रेशन के लक्षणों में कमी 72 प्रतिशत और एंजाइटी में गिरावट 75 फीसदी दिखी। सप्ताह में 5-6 बार अभ्यास करने वाले लोगों में एंजाइटी और डिप्रेशन दोनों में बहुत अधिक कमी आई।

कार्डियो मेटाबोलिक रिस्क, बीपी और मूत्र संबंधी समस्या पर स्टडी की गयी। इसमें भाग लेने के लिए सहमति देने वालों का चयन किया गया। बीपी के विभिन्न स्तरों और कार्डियो मेटाबोलिक रिस्क में महत्वपूर्ण सुधार आया जिसमें ब्लड शुगर में कमी, कमर की समस्या में सुधार, हाई बीपी में कमी और बीएमआई में कमी होना शामिल है।

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक