माय ड्रीम माय सिटी कार्यक्रम में बच्चों ने खींची बेहतर शहर की तस्वीर

पटना: अगर हम स्मार्ट सिटी की बात करते हैं, पॉजिटिवनेस की बात करते हैं, समाज के बेसिक स्ट्रक्चर जिसे सोसाइटी बेस पर हमारे भविष्य का आधार बन सकता है। वह प्लान सिटी से ही बन सकता है। यह बातें बिहार सरकार के उद्योग विभाग के मंत्री समीर कुमार महासेठ ने शनिवार को डीपीएस, तुर्की, मुजफ्फरपुर के प्रांगण में माय ड्रीम, माय सिटी, यंग बॉयज ऑफ मुजफ्फरपुर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेते हुए कही। कार्यक्रम का आयोजन डीपीएस तुर्की, मुजफ्फरपुर की तरफ से किया गया था। जिसे एडवांटेज सर्विसेज और बेंगलुरु स्थित एलएक्सएल आईडियाज द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया गया। कार्यक्रम का संचालन एलएक्सएल आईडियाज बेंगलुरु के प्रमुख प्रमुख शिक्षाविद सैयद सुल्तान अहमद ने किया।

डीपीएस तुर्की, मुजफ्फरपुर के निदेशक राज राजेन्द्र ने पुरे प्रोग्राम को कराने में काफी सहयोग दिया। उन्होंने कहा कि इस यूनिक पहल में सबसे अहम रोल मुजफ्फरपुर के बच्चों का है। जिन्होंने अपने अथक प्रयास से ऐसी चीजों को सामने लाने में सफलता हासिल की है, जो वाकई में हर किसी के जीवन से सीधा ताल्लुक रखती हैं। इस बारे में और जानकारी देते हुए डीपीएस के निदेशक आर राजेन्द्र ने बताया कि जिस तरह हम बच्चों को कमरा, रूम, टेबल, किताब और अन्य सुविधाएं देते हैं, तो उसी के अनुसार हम उनके लिए वैसा शहर क्यों नहीं दे सकते हैं? हमारी कोशिश एक ऐसे शहर को बनाने की तरफ ध्यान आकृष्ट कराने की है, जिसमें बच्चों और अन्य लोगों के लिए सारी सुविधाएं हों।

डीपीएस के प्रिंसिपल मनोज शरीन ने स्वागत भाषण दिया। बच्चों का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम के द्वारा हम बच्चों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं साथ ही उनके सही-गलत के पहचान की क्षमता भी बढ़ेगी।

बिहार में नहीं है प्लान सिटी- समीर कुमार महासेठ

अपने संबोधन में मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि पूरे बिहार में शायद एक भी प्लान नहीं है। जो बच्चे यहां से बाहर गए, उन चीजों को उन्होंने वहां पर देखा तो दोनों जगहों में अंतर नजर आया। लेकिन जो वातावरण बनाने का है तो हर एक दिन हम यह सोच कर चले कि अपने शहर को हम कैसे इंप्रूव करें। हम जिस स्कूल में पढ़ते हैं उस स्कूल में कैसे अपने उस आचरण के साथ बच्चे जाएं? वहां पढ़ाई करें और वहां से निकल कर आए तो अगर एक बच्चा अपने अगल-बगल अगर एक बच्चे को भी सेलेक्ट करके शिक्षा देने लगे कि भविष्य में हमने जो सीखा है। हम ऐसे, जहां पर एजुकेशन नहीं है, अगर वहां एजुकेशन देने का प्रयास करेंगे तो यह संदेश तुरंत कन्वर्शन के तहत धीरे धीरे एक ऐसा समाज बन जाएगा जहां अंतर लगेगा। हमारा बिहार दो तरह का है। एक हम लोग देखते हैं कि पूरे देश में आईएएस आईपीएस पढ़े लिखो क संख्या सबसे ज्यादा बिहार में है।

मंत्री समीर कुमार महासेठ ने यह भी कहा कि हमारी सोच होनी चाहिए, जो इन बच्चों ने कहा निश्चित तौर पर हम लोगों के दिमाग में आया। भविष्य में यह आपका सोचा हुआ, निश्चित तौर पर पूरे प्रदेश के लिए लागू होगा। आपकी सोच यह बता रही है कि आपने रिसर्च करके इसे बनाया है।

8 बच्चों ने जूरी के सामने अपनी बातों को रखा

इस फाइनल राउंड में जूरी मेंबर के रूप में नम्रता सिंह, फैजान अहमद, अर्जुन सिंह, अजय कुमार सिंह, दिलीप चुड़ीवाला, अमिताभ सोहन और समीर मलयज शामिल थे, जबकि विशेष अतिथि के रूप में मुजफ्फरपुर के एसएसपी जयंत कांत की धर्मपत्नी डॉ स्मृति पासवान उपस्थित थी।

दरअसल इस खास आयोजन में मुजफ्फरपुर के 100 स्कूलों को बच्चों को जोड़ा गया था। इसमें प्रत्येक बच्चे ने 25 से 50 अन्य दूसरे बच्चों से बात करके उनके विचारों को एकत्र किया था। जब बच्चों ने जानकारी एकत्र की तो इसमं  पब्लिक लाइब्रेरी, पार्क, शहर में ड्रेनेज सिस्टम, युवाओं में ड्रग्स के बढ़ती लत, बेहतर एजुकेशन, लॉ ऑर्डर और बेहतर सड़कें जैसे मामले सामने आए थे। फाइनल राउंड के लिए जिन आठ बच्चों का अंतिम रूप से चयन किया गया था। उसमें सेंट जेवियर इंटरनेशनल स्कूल एंड सेंट जोसेफ सेंट जोसेफ सीनियर स्कूल की प्रणति, डीएवी पब्लिक स्कूल बखरी की साक्षी कुमारी, केंद्रीय विद्यालय मुजफ्फरपुर की संजना रानी, डीपीएस मुजफ्फरपुर के प्रियव्रत, केंद्रीय विद्यालय मुजफ्फरपुर की रिया, शेमफोर्ड फ्यूचरिस्टिक स्कूल के आकर्ष, डीएवी पब्लिक स्कूल खबड़ा की अवंतिका और ग्रैंड व्यू प्रीपरिप्रेट्री स्कूल के प्रिंस कुमार शामिल थे।

एडवांटेज सर्विसेज के प्रमुख खुर्शीद अहमद ने इस मौके पर बताया कि इस पूरी पहल का उद्देश्य यह था कि हम खुद के साथ ही दूसरों के लिए भी एक बेहतर शहर तैयार कर सके। इस आयोजन का कॉन्सेप्ट एल एक्स एल आईडिया और उसके संस्थापक सैयद सुल्तान अहमद का है। आने वाली पीढ़ी भी इन सारी चीजों का अनुभव ले सके और एक बेहतर और स्तरीय जीवन जी सके। इन बच्चों में से 30 बच्चों का चयन प्रिलिमनरी राउंड के लिए किया गया था और अंतिम रूप से 8 बच्चों को चुना गया था। जिन्होंने जूरी मेंबर के सामने अपनी बातों को रखा।

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