TAC मामलाः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कतरे राज्यपाल के पर, भाजपा पहुंची राजभवन

रांचीः जनजातीय सलाहकार परिषद (TAC) के गठन की भूमिका से राजभवन को बाहर किये जाने पर हेमंत सरकार और भाजपा आमने-सामने हैं। हेमंत सरकार ने नई नियमावली जारी कर TAC के गठन से राजभवन की भूमिका को खत्म कर दिया है। इसके सदस्यों का मनोनयन अब TAC के पदेन अध्यक्ष के नाते मुख्यमंत्री करेंगे, जनजातीय आबादी के विकास के लिए राज्यपाल को TAC की सलाह लेने का अधिकार रहेगा। हेमंत सरकार के इस फैसले के खिलाफ भाजपा राजभवन पहुंची और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर राज्य सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया।

बता दें जनजातीय बहुल आबादी वाले इस प्रदेश में इस कमेटी का अपना महत्व है। इस कमेटी में मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष, अनुसूचित जनजाति, जाति, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री इसके पदेन उपाध्यक्ष होंगे। इनके अतिरिक्त समिति में 18 सदस्यों का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल राजभवन में राज्यपाल से मिला और ज्ञापन सौंपकर TAC रूल संबंधी हेमंत सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया, इसे तत्काल रद्द करने की मांग की।

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दीपक प्रकाश ने कहा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासी हित के लिए राज्यपाल को एक विशेष अधिकार प्राप्त है, जिसमें TAC का गठन या आदिवासी से संबंधित अन्य निर्णय शामिल हैं। सदस्यों के मनोनयन का अधिकार मुख्यमंत्री को मिलना राज्यपाल के अधिकारों और कर्तव्यों के ऊपर गैर संवैधानिक अतिक्रमण है। शिष्टमंडल में प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष शिवशंकर उरांव, पूर्व आईजी डॉ. अरुण उरांव, रामकुमार पाहन शामिल थे।

राजभवन की भूमिका ही कर दी खत्म

पहले TAC के सदस्यों के मनोनयन के लिए राज्य सरकार राज्यपाल के पास नाम भेजती थी। हेमंत सरकार ने सदस्यों के मनोनयन के लिए 2 बार नाम भेजे मगर राजभवन ने उसे वापस लौटा दिया। तब हेमंत सरकार ने इसका विकल्प निकाला और नई नियमावली लाकर राजभवन की भूमिका को ही खत्म कर दिया। 2 दिन पहले TAC रूल 2021 की अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके साथ ही संयुक्त बिहार के समय 1958 का बिहार ट्राइब्स एडवाइजरी काउंसिल रूल्स खुद ब खुद अप्रभावी हो गया।