मोदी सरकार का लोक लुभावन बजट कहीं चुनावी तो नहीं?

नयी दिल्ली: सरकार द्वारा पेश किए गये केंद्रीय बजट को देखकर लगता है कि इसका सरोकार अगले साल होने वाले आम चुनाव से हैं। केंद्रीय बजट 2023 (Budjut 2023) में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गयी। इसका मुख्य फोकस इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाना, मध्यम वर्ग, आदिवासी, आधी आबादी के लिए दिखाने की कोशिश की गयी है। इस बजट को गौर से देखें तो इसके पहले के बजट में स्मार्ट सिटी, अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और आयुष्मान भारत जैसी बड़ी घोषणाएं की गयी थीं। मगर इन घोषणाओं को जमीनी स्तर पर कितना उतारा गया, इसके पूरा ना होने का जिक्र केंद्रीय बजट में क्यों नहीं किया गया है?

Budget 2023 को लोकलुभावन बजट कहना सही नहीं होगा, क्योंकि 2022 में एक नया टैक्स स्लैब पेश किया गया था जिसे लोगों ने नहीं पसंद किया था और ज्यादातर लोग पुराने टैक्स स्लैब पर ही इनकम टैक्स भर रहे थे। इस बजट के जरिये पुराने टैक्स स्लैब को खत्म करने के लिए एक कदम बढ़ाया गया है, जो आने वाले वक्त में मध्यम वर्ग के लिए काफी भारी पड़ सकता है। हालांकि, सरकारी और निजी क्षेत्र में 90 लाख लोगों को तत्कालीन राहत मिल गयी। कुल पांच करोड़ लोग टैक्स भरते हैं।

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इस बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास सहित कई अहम क्षेत्रों के बजट को पिछले साल की तुलना में कम किया है। वहीं, रेलवे, ट्रांसपोर्ट, प्रधानमंत्री आवास योजना, ई-कॉमर्स और उर्जा सुरक्षा में बढ़ोत्तरी की गयी। चिकित्सा, एआई से संबंधित घोषणा की गयी है, लेकिन इसे लेकर दशा और दिशा तय नहीं की गयी है।

सब्सिडी को खत्म करने वाली सरकार ने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज अगले 12 महीने तक दिए जाने की घोषणा की है। इस पर एक लाख 97 हजार करोड़ रूपये खर्च आयेगा। फर्टिलाइजर पर सब्सिटी दी गयी है यानी आत्मनिर्भर भारत की हकीकत सामने आ गयी। हम आत्मनिर्भर नहीं थे, बल्कि सस्ते में अनाज और फर्टिलाइजर मिल जाते थे।

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इस बजट में सरकार ने शेयर बाजार से ना कुछ लिया और ना कुछ दिया। इसे शेयर बाजार ने सकारात्मक रूप से लिया। पहली दफा सरकार ने मान लिया कि निजी क्षेत्र के सहारे देश की इकोनॉमी नहीं चल सकती। यह केवल अपनी जेब भरता है और अपना फायदा लेकर चला जाता है। अब सरकार देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए पब्लिक सेक्टर के जरिये काम करेगी। इसके लिए चुनावी परिस्थितियों में यह एक लोकलुभावन बजट दिखाई देता है।

सरकार के अनुसार देश में प्रति व्यक्ति आय करीब 2 लाख रूपये है। यदि देखा जाये तो करीब 90 फीसदी लोगों की आय चार से आठ हजार रूपये हैं। मोदी सरकार के बजट में पहली दफा मध्यम वर्ग का जिक्र का किया गया है। मगर डवांडोल होती अर्थव्यवस्था को लेकर किसी बड़े रिफार्म का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक