मधेपुरः भाजपा प्रदेश आईटी एवं डाटा संकलन प्रभारी दिलीप मिश्र ने कहा कि इतिहास गवाह है कि चाटुकारों और चापलूसों के चक्कर में पड़ कर बड़े-बड़े बादशाहों की सल्तनत ख़ाक हो गयी है। नीतीश कुमार की वर्तमान स्थिति आज इसी का परिणाम है। यह इन्हीं चापलूस नेताओं की देन है कि नीतीश जी आज न तो घर के रहे न घाट के।
उन्होंने कहा कि नीतीश जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई नेताओं को अपने दांव में फंसाया है, लेकिन आज अपने ही चापलूस सलाहकारों के ‘दांव’ में नीतीश जी का ‘पांव’ ऐसा फंस गया है कि अब न तो उन्हें निगलते बन रहा है और न ही उगलते।
बिना नाम लिए ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश जी के यह सलाहकार कोई और नहीं बल्कि वहीं नेतागण हैं जो कभी इनके ‘आंत में दांत’ गिनते थे तो कभी इनका ‘राजनीतिक अंत’ करने की कसम खाते थे। इनके एक सलाहकार ने तो खुले मंच से ऐलान किया था कि या तो अलग रह कर नहीं तो साथ रहकर नीतीश जी और जदयू को बर्बाद जरुर करेंगे। यह नीतीश जी का दुर्भाग्य है कि इसके बावजूद उन्होंने इन नेताओं को न केवल अपनी गोदी में बैठाया बल्कि उन्हें हर तरह से मजबूत भी किया। इसी का परिणाम है कि दूसरों के लिए साजिशों का जाल बुनते-बुनते नीतीश कुमार कब इनके बुने जाल में फंस गये यह उन्हें पता तक नहीं चला।
दिलीप मिश्र ने कहा कि इन्हीं लोगों ने ‘पूरे प्लान के’ तहत इन्हें पीएम बनने की झाड़ पर चढ़ाया और आज यह गिरोह इनका राजनीतिक विध्वंस करने के अपने लक्ष्य के लगभग करीब पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि जो नेता अभी हाल तक नीतीश जी को पानी पी-पी कर कोसते थे, जिनके बाल बच्चे उनके लिए खुलेआम अपशब्दों का प्रयोग करते थे, आज नीतीश जी का उन्हीं नेताओं की चौखटों पर माथा टेकना कोई संयोग नहीं है बल्कि उनके इन्हीं दोनों सलाहकारों का सोचा-समझा प्रयोग है। आने वाले समय में नीतीश जी न तो सीएम रह पायेंगे और न ही पीएम बन पाएंगे। यहां तक कि उनके यह दोनों सलाहकार उनके आश्रम की बांस-बल्लियां भी उखाड़ फेंकेंगे।