सुशांत सिंह की संदिग्ध मौत: परिवारवाद को लेकर हिन्दी फिल्मोद्योग में फिर हंगामा

हत्या या आत्महत्या ? अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत इस वक्त पहेली बनी हुई है और हिन्दी फिल्म उद्योग में परिवारवाद को लेकर फिर से हंगामा हो रहा है। यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की बातें सामने आयी हैं, जिनको दबाया जाता रहा है। लेकिन इस बार चर्चा कुछ ज्यादा है और आवाज देश के हर कोने से आ रही है।

दबंग फिल्म के डायरेक्टर अभिनव कश्यप ने जहां बाहरी लोगों को फिल्म उद्योग में अलग-थलग किए जाने को लेकर लंबा-चौड़ा फेसबूक पोस्ट लिखा है, वहीं अभिनेत्री कंगना रनौवत ने भी इसके खिलाफ  आवाज उठाई है। इसके अलावें अन्य लोग भी इस बात की चर्चा कर रहे हैं और विरोध भी जता रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर भी फिल्मी परिवारों के बहिष्कार को लेकर सक्रियता बढ़ गई है।

एक तरफ जहां अनुपम खेर, ओमपुरी, इरफान खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे दिग्गज कलाकारों को कई बरस तक इनके कद की भूमिका पाने में चप्पलें घिस जाती हैं। वहीं जिनके माई बाप का संबंध मायानगरी से है। उनके लिए दिग्गज शोमैन रेड कारपेट बिछा देते हैं और इनमें से अधिकतर फ्लाप हो जाते हैं।

बेहतरीन कलाकारों का 8 से 10 साल अपना मकाम हासिल करने में ही बर्बाद हो जाता है। इसका सीधा सा मतलब है कि अच्छे कलाकारों का दर्शक केवल आधा काम ही देख पाते हैं। सफल होने के बाद फिल्म उद्योग में मजबूत पकड़ रखने वाले दोयम दर्जे के कलाकार इनको दबाने की कोशिश करते हैं।

वैसे भी हमारे देश में राजनीति, नौकशाही, सेना, पुलिस, सशस्त्र बल और मीडिया परिवारवाद से अछूती नहीं है। मगर हिन्दी फिल्मोद्योग यानी बॉलीवुड में परिवारवाद की पकड़ राजनीति से भी अधिक है। इस उद्योग में करोड़ों रूपये दांव पर लगे होते हैं।

गौरतलब है कि हिन्दी फिल्मोद्योग में 1000 से अधिक फिल्में हर साल बनती है। मगर दर्शकों को बामुश्किल 10 फिल्मों के नाम पता होते है। यदि आप ध्यान से देखें तो ये 10 फिल्में हिन्दी फिल्मोद्योग से जुड़े लोगों के बच्चों की होती हैं। इसके मुकाबले हॉलीवुड में आधी फिल्में बनती है और कई फिल्में पूरी दुनिया में धूम मचाती है।

बहरहाल, सुशांत की संदिग्ध मौत के बाद बिहार के मुजफ्फरपुर में वकील सुधीर कुमार ओझा ने करन जौहर, सलमान खान, संजय लीला भंसाली और एकता कपूर सहित आठ लोगों के खिलाफ अदालत में मामला दर्ज कराया है। इसकी अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी। 

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक