जानें, बच्चों में पाए जाने वाले COVID-19 के लक्षण और उसके प्रभाव

नई दिल्लीः देश में COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान, मीडिया ने आगे आने वाली किसी संभावित नई लहर के बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ने को लेकर कई सवाल उठाये हैं। इन सवालों का जवाब देते हुए विशेषज्ञों ने कई मंचों पर अपनी बात रखी है और ऐसे डर और आशंकाओं को खारिज किया है। विशेषज्ञों ने आश्वस्त किया है कि बच्चों को संक्रमण हो सकता है, लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे।

बच्चों में COVID-19 ज्यादातर लक्षणहीन

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके. पॉल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में बच्चों पर पर पड़ने वाले COVID-19 प्रभाव के बारे में विस्तृत चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि बच्चों में COVID-19 ज्यादातर लक्षणहीन रहा है और शायद ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने जरूरत होती है। हालांकि यह संभव है कि संक्रमित होने वाले कुछ प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत हो सकती है।

8 जून को COVID-19 पर हुए एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान AIIMS के निदेशक डॉ. रणदीप सिंह गुलेरिया ने कहा था कि भारत या वैश्विक स्तर पर ऐसे कोई आंकड़े नहीं है, जिससे पता चले कि आगे आने वाली COVID लहरों से बच्चे गंभीर रूप से संक्रमित होंगे।

बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हुए मामूली लक्षणों वाले स्वस्थ बच्चे

इस मुद्दे पर और स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा था कि मामूली लक्षणों वाले स्वस्थ बच्चे बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हो गए, वहीं भारत में दूसरी लहर के दौरान COVID 19 संक्रमण के चलते अस्पताल में जो बच्चे भर्ती किये गये उनको दूसरी बीमारियां भी थीं या उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी।

बच्चों में COVID-19 के दो रूप हो सकते हैं- डॉ. वीके. पॉल

  1. एक रूप में, संक्रमण, खांसी, बुखार और निमोनिया जैसे लक्षण हो सकते हैं, जिनके चलते कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है।
  2. दूसरे मामले में COVID होने के 2-6 हफ्ते बाद, जो ज्यादातर स्पर्श से हो सकता है, बच्चों में कम अनुपात में बुखार, शरीर पर लाल चकत्ते और आंखों में सूजन या कंजक्टिवाइटिस, सांस लेने में परेशानी, डायरिया, उलटी आदि लक्षण नजर आ सकते हैं। यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाले निमोनिया तक सीमित नहीं हो सकते हैं। यह शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलता है। इसे मल्टी-सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम कहा जाता है। यह COVID के बाद का एक लक्षण है। इस बार, वायरस शरीर में नहीं मिलेगा और आरटी-पीसीआर जांच भी निगेटिव आएगी। लेकिन एंटीबॉडी परीक्षण में पता चलेगा कि बच्चा COVID से संक्रमित है।

2-18 साल के बीच की उम्र के बच्चों पर Covaxin का परीक्षण शुरू

प्रतिरोधकता पर राष्ट्रीय तकनीक परामर्श समूह (एनटीएजीआई) के COVID-19 पर बने कार्यकारी समूह के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने 25 जून, 2021 को कहा कि 2-18 साल के बीच की उम्र के बच्चों पर Covaxin का परीक्षण शुरू हो गया है और इसके नतीजे इस साल सितंबर से अक्टूबर तक मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को संक्रमण हो सकता है, लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे।