हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार, राजीव गांधी का हटा नाम

नई दिल्लीः राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को अब से मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा। इस बात की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि उन्हें देश भर के नागरिकों से पुरस्कार का नाम हॉकि के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए अनगिनत अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ‘खेल रत्न पुरस्कार’ को अब से ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ कहा जाएगा।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से एक थे जिन्होंने भारत के सम्मान और गौरव को नए शिखर पर पहुंचा दिया था। अत: यह बिल्कुल उचित है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जाएगा।

प्रधानमंत्री ने अनेक ट्वीट्स में कहा, ’ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं। विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।‘

देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।

हॉकी के ‘जादूगर’ कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान रहा है। उनकी उपलब्धियों का सफर भारतीय खेल इतिहास को गौरवान्वित करता है। लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद की क्षमता का हर कोई कायल रहा। उन्होंने अपने आखिरी ओलंपिक (बर्लिन 1936) में कुल 13 गोल दागे थे। इस तरह एम्स्टर्डम, लॉस एंजेलिस और बर्लिन ओलंपिक को मिलाकर ध्यानचंद ने कुल 39 गोल किए, जिससे उनके बेहतरीन प्रदर्शन का पता चलता है।

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