नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि भारत बाघ श्रेणी के देशों के साथ मिलकर बाघों के प्रबंधन का नेतृत्व करने को तैयार है। बाघ को प्रकृति का एक हिस्सा है। भारत में इनकी संख्या में वृद्धि प्रकृति में संतुलन को दर्शाती है।
‘‘विश्व बाघ दिवस’’ की पूर्व संध्या पर बाघों की गणना पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए कहा केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भूमि और वर्षा के अभाव के बावजूद भारत ने बांघ संपत्ति को लेकर जो उपलब्धि हासिल की है उस पर उसे गर्व है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए पहली बार एलआईडीएआर (लिडार लेजर) आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जाएगा।’’ लिडार लेजर प्रकाश से लक्ष्य को रोशन करके और एक सेंसर के साथ प्रतिबिंब को मापने के जरिए दूरी को मापने की एक विधि है।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 1973 में जहां सिर्फ नौ बाघ अभयारण्य थे जो बढ़कर 50 हो गए हैं। यह जानना महतवपूर्ण है कि इनमें से कोई भी रिजर्व खराब गुणवत्ता वाला नहीं है। या तो वे अच्छे हैं या बेहतर है।’’
बाघ अभयारण्यों के बाहर भारत के कुल बाघों के लगभग 30 प्रतिशत बाघ रहते हैं। इसे देखते हुए भारत ने वैश्विक रूप से विकसित संरक्षण आश्वासन या बाघ मानकों के माध्यम से इनके प्रबंधन तरीके का आंकलन करना शुरू किया था, जिसे अब देश भर के सभी पचास बाघ अभयारण्यों तक विस्तारित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत के पास धरती का काफी कम हिस्सा होने जैसी कई बाधाओं के बावजूद, यहां जैव-विविधता का आठ प्रतिशत हिस्सा है क्योंकि देश में प्रकृति, पेड़ों और वन्य जीवन को बचाने की संस्कृति है।
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक भूमि का महज 2.5 प्रतिशत, चार फीसद वर्षा और विश्व की आबादी का 16 प्रतिशत होने की बाध्यता के बावजूद, भारत वैश्विक जैव-विविधता के मामले में आगे है। दुनिया की 70 प्रतिशत बाघ की आबादी भारत में है।’’
उन्होंने कहा कि भारत बाघ श्रेणी के देशों के साथ मिलकर बाघों के संरक्षण में विश्व का नेतृत्व करने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत को अपनी बाघ संपत्ति पर गर्व है। यह हमारी प्राकृतिक संपदा है। देश में आज दुनिया की 70 प्रतिशत बाघ आबादी है। हम सभी 13 बाघ श्रेणी के देशों के साथ बाघों के वास्तविक प्रबंधन में काम करने के लिए तैयार हैं।’’
उन्होंने कहा कि देश को गर्व होना चाहिए कि बाघों की संख्या के मामले में हम विश्व का नेतृत्व कर रहे हैं। ‘‘यह भारत की सॉफ्ट पावर है और इसे दुनिया के सामने हमें बेहतर तरीके से ले भी जाना चाहिए। बाघ और अन्य वन्य जीव भारत की एक प्रकार की ताकत हैं जिसे भारत अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर दिखा सकता है।’’
जावड़ेकर ने इस अवसर पर यह घोषणा भी की कि उनका मंत्रालय एक ऐसे कार्यक्रम पर काम कर रहा है जिसमें मानव और जानवरों के बीच टकराव की चुनौती से निपटने के लिए जंगल में ही जानवरों को पानी और चारा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी।