बिहार में कोरोना घोटाला- कहीं बार बालाओं का डांस, तो कहीं कफन ओढ़ता जिंदा इंसान

पटनाः कहीं क्वारंटाइन सेंटर में बार बालाओं का डांस, कहीं रह रहे लोगों को ओढ़ने-बिछाने के लिए कफन के कपड़े का चादर…खाना-पानी में कोताही तो पूछने वाली बात ही नहीं है, यह जगजाहिर है। आखिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दरियादिली के बावजूद इन सेंटरों से हंगामा, तोड़फोड़ की खबरें कैसे छनकर आ रही हैं ? क्या राहत के नाम पर कोरोना घोटाला के नाग ने फन फैला लिया है ?

समस्तीपुर के व्वारंटाइन सेंटर में रंगारंग डांस

समस्तीपुर के विभूतिपुर के कर्रख स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बनाये गये क्वारंटाइन सेंटर में सारे नियमों को ताक पर रख स्थानीय रसूखदारों ने स्वास्थ्य लाभ ले रहे श्रमिकों को लुभाने के लिए तीन-तीन बार बालाओं को रात भर नचवाया। डांस का ये वीडियो जब वायरल हुआ और मीडिया में बात आई, हल्ला मचा तब जाकर शासन-प्रशासन को होश आया। इस मामले में कार्रवाई हुई। जांच बैठी। क्वारंटाइन केंद्र के सुपरवाइजर पर कार्रवाई का आदेश हुआ। रोसड़ा अनुमंडल के SDO और DSP ने की मामले की जांच की।

प्रवासियों को बिछाने के लिए दिया गया कफन का कपड़ा

एक खबर सारण के इसुआपुर प्रखंड से आई थी। वहां महुली चकहन हाई स्कूल स्थित क्‍वारंटाइन सेंटर में आये श्रमिकों को उपस्थित कर्मियों ने ओढ़ने-बिछाने के लिए सफेद चादर दिया। बाद में लोगों ने महसूस किया कि वह चादर नहीं बल्कि कफन का कपड़ा है। भारी हंगामा मचा। लोग मारपीट पर उतारु हो गये। कुछ ने कहा कि इसके प्रयोग से डरावने सपने आये।

खान-पान की भी उचित व्यवस्था नहीं

खबरों की तफसील पर जाइये, तो पायेंगे कि अधिकांश क्वारंटाइन सेंटर पर खान-पान की समुचित व्यवस्था नहीं है। कहीं लेट, कहीं चूड़ा के साथ नमक-मिर्च। कहीं पानी की दिक्कत। साफ-सफाई ऐसी कि भला-चंगा भी बीमार पड़ जाये। बेजार व्यवस्था से कहीं लोग घर से खाना मंगा रहे हैं,कहीं लोग दिन भर गांव में टहलते हैं और रात को सोने चले आते हैं सेंटर में ताकि वहां तैनात बाबुओं की नौकरी बची रहे।

क्वारंटाइन के नाम पर कोरोना घोटाला की आहट

ऐसे माहौल में क्वारंटाइन सेंटर में पत्रकारों को जाने से रोकने के आदेश ने और संदेह बढ़ा दिया है। मुखिया आगे बढ़ता है इंतजाम में तो बीडीओ-सीओ दुबक जाते हैं कि चलो, मुखिया जी संभाल लेंगे। कई जगह मुखिया दुबक जाते हैं कि हमारी अंटी क्यों ढीली हो।

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दरअसल बिहार सरकार ने क्वारंटाइन सेंटरों में मजदूरों की सुविधा के लिये दरी, चादर, थाली, लोटा, बाल्टी, कपड़ा, बिछावन आदि 23-24 चीजें उपलब्ध कराने की योजना तैयार की। ये चीजें क्वारंटाइन सेंटर में पहुंचते ही उन्हें मिलनी है। इसके अलावा हर रोज उनके भोजन के लिये 140 रुपये प्रति व्यक्ति का बजट है। इस लिहाज से उन्हें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिये थी।

पत्रकारों की कार्यशैली पर भी उठ रहे सवालिया निशान

स्पष्ट है कि सेंटरों के संचालन में घोर भ्रष्टाचार हो रहा है। कई सेंटरों में तो 40-50 लोगों पर इन सामानों का एक या दो सेट ही मिलता है। इसके बावजूद अगर ये खबरें मीडिया में खुलकर नहीं आ रही हैं, तो इसकी वजह यह बतायी जा रही है कि कई जगह स्थानीय प्रभुत्वशाली पत्रकारों के नजदीकियों को कुछ सेंटरों में सामान आपूर्ति का जिम्मा दे दिया गया है। इसलिये वे चुप हैं। कुल मिलाकर यह कहने में परहेज नहीं कि क्वारंटाइन सेंटर के नाम पर बिहार में कोरोना घोटाला दस्तक दे रहा है।

अजय वर्मा
अजय वर्मा
समाचार संपादक