नई दिल्लीः प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश में महिलाओं के कल्याण के लिए एक ऐतिहासिक विधेयक ‘सहायक प्रजनन तकनीक नियमन विधेयक 2020’ (ART 2020) को मंजूरी दे दी है। संसद में ‘सरोगेसी नियमन विधेयक 2020’ को पेश करने और ‘चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी देने के बाद यह अहम कदम उठाया गया है। ये विधायी उपाय महिलाओं के प्रजनन अधिकारों के संरक्षण के लिए ऐतिहासिक कदम हैं।
संसद में पारित हो जाने एवं इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद केन्द्र सरकार इस अधिनियम पर अमल की तिथि को अधिसूचित करेगी। इसके बाद राष्ट्रीय बोर्ड का गठन किया जाएगा।
राष्ट्रीय बोर्ड भौतिक अवसंरचना, प्रयोगशाला एवं नैदानिक उपकरणों तथा क्लिनिकों एवं बैंकों में रखे जाने वाले विशेषज्ञों के लिए न्यूनतम मानक तय करने के लिए आचार संहिता निर्धारित करेगा, जिसका पालन क्लिनिक में काम करने वाले लोगों को करना होगा।
केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने के तीन महीनों के भीतर राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेश इसके लिए राज्य बोर्डों और राज्य प्राधिकरणों का गठन करेंगे। राज्य बोर्ड पर संबंधित राज्य में क्लिनिकों एवं बैंकों के लिए राष्ट्रीय बोर्ड द्वारा निर्धारित नीतियों एवं योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी होगी।
विधेयक में केन्द्रीय डेटाबेस के रख-रखाव तथा राष्ट्रीय बोर्ड के कामकाज में उसकी सहायता के लिए राष्ट्रीय रजिस्ट्री एवं पंजीकरण प्राधिकरण का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक में उन लोगों के लिए कठोर दंड का भी प्रस्ताव किया गया है, जो लिंग जांच, मानव भ्रूण अथवा जननकोष की बिक्री का काम करते हैं और इस तरह के गैर-कानूनी कार्यों के लिए एजेंसियां/गोरखधंधा/संगठन चलाते हैं।
इस कानून का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह देश में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं का नियमन करेगा। अत: यह कानून बांझ दम्पत्तियों में सहायक प्रजनन तकनीक (ART) के तहत नैतिक तौर-तरीकों को अपनाए जाने के संबंध में कहीं अधिक भरोसा पैदा करेगा।