गलवान घाटी मामले पर राजनयिक वार्ता शुक्रवार को होगी

नई दिल्ली: एलएसी पर तनाव कम करने के लिए शुक्रवार को एक और दौर की राजनयिक वार्ता होने की संभावना है। पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर चीन के दावे को एक बार फिर खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत वार्ता के जरिए मतभेदों के समाधान को लेकर आश्वस्त है और सीमा क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने की आवश्यकता को समझता है। इसके साथ ही भारत अपनी सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। श्रीवास्तव ने कहा कि एलएसी का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में यही शांति और स्थिरता का आधार है।

डोभाल और वांग से हुई थी टेलीवार्ता

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ पिछले रविवार को फोन पर बातचीत की थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में टकराव बिंदुओं से बलों को पीछे हटाना शुरू कर दिया था। एनएसए ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय बलों ने सीमा प्रबंधन के मामले में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना दृष्टिकोण अपनाया है। हमारे बल देश की सम्प्रभुता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद प्रतिबद्ध हैं।

इस बीच, इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि दोनों पक्ष भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार-विमर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र की रूपरेखा के तहत सीमा विवाद पर शुक्रवार को एक और ऑनलाइन बैठक करेंगे।

गलवान घाटी पर चीनी दावा निराधार

श्रीवास्तव ने दोहराया कि गलवान घाटी पर चीन के हालिया दावे ‘‘बढ़ा-चढ़ा कर किए गए और निराधार हैं। एलएसी का कड़ाई से पालन एवं सम्मान किया जाना चाहिए। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में यही शांति और स्थिरता का आधार है। गौरतलब है कि 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सेना के साथ आपसी सहमति बनी। पूर्वी लद्दाख के गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स में टकराव स्थलों से अपने बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी कर दी। उसने गलवान घाटी में टकराव बिंदुओं से पहले ही बलों को पीछे हटा लिया है।