कानूनी पचड़े में बिहार सरकार का पंचायती राज अध्यादेश, PIL के लिए हाईकोर्ट की मंजूरी

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पटनाः बिहार सरकार का पंचायती राज अध्यादेश (Bihar government’s Panchayati Raj ordinance) कानूनी पचड़े में पड़ता दिखाई दे रहा है। पटना हाइकोर्ट ने सरकार के इस नए अध्यादेश के खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दायर करने के लिए ई-फाइलिंग को मंजूरी दे दी है। हाइकोर्ट ने जनहित याचिका की यह मंजूरी एडवोकेट प्रियंका सिंह के रिक्वेस्ट पर दी है।

पटना हाइकोर्ट की एडवोकेट प्रियंका सिंह ने कोर्ट के समक्ष गुहार लगाई थी कि पंचायत प्रतिनिधियों के पद खत्म हो जाने से बिहार के गांव नौकरशाही के चंगुल में चले जायेंगे। इसलिए मामले को अर्जेंट मानकर अध्यादेश के खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दायर करने की अनुमति दी जाए। एडवोकेट प्रियंका सिंह के इस रिक्वेस्ट पर विचार करते हुए पटना हाइकोर्ट ने अध्यादेश के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने के लिए ई-फाइलिंग को मंजूरी दे दी।

दरअसल नीतीश सरकार ने बिहार में पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो पाने की स्थिति में बड़ा फैसला लेते हुए पंचायती राज कानून में संशोधन कर अध्यादेश के जरिए नियमों में बदलाव का निर्णय लिया है (Bihar government’s Panchayati Raj ordinance)। इसके मुताबिक बिहार में 15 जून के बाद पंचायती राज संस्थानों की जगह सलाहकार समिति की व्यवस्था की जानी है। लेकिन अब सरकार के अध्यादेश को कानूनी चुनौती देने और राज्य में पंचायत चुनाव नहीं होने के खिलाफ पीआईएल दायर करने के लिए भी उच्च न्यायालय ने मंजूरी दी है।

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