पटना: कोरोना संकट के बीच प्रवासी मजदूरों की वापसी और उन्हें क्वारंटाइन सेंटर में रखना अब तक बिहार सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौति साबित हो रही है। इसे देखते हुए सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। निर्णय के मुताबिक अब हर जगह से आने वाले प्रवासियों की जगह मात्र 11 शहरों के प्रवासी को ही क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। जिन 11 शहरों के प्रवासियों को सेंटर में रखने की बात कही जा रही है उनमें दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता, अहमदाबाद, सूरत, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा और बेंगलुरु हैं शामिल हैं।
प्रदेश सरकार ने यह फैसला प्रवासी मजदूरों के रैंडम सैंपल टेस्ट परिणाम की समीक्षा के आधार पर लिया है। सरकार का मानना है कि रैंडम सैंपल टेस्ट में इन ग्यारह शहरों से आने वाले प्रवासी मजदूर ही कोरोना वायरस की चपेट में पाए गए हैं। साथ ही सरकार ने यह भी तय किया है कि इन 11 शहरों से आने वाले लोग प्रखंड स्तरीय टैंक कैंपों या पंचायत भवन में बनाएं गये क्वारंटाइन सेंटर में रह सकते हैं।
हालांकि देश के अन्य शहरों से आने वाले प्रवासियों को पहले की तरह ही रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा, लेकिन उन्हे क्वारंटाइन सेंटर की बजाय होम क्वारंटाइन में रहना होगा। इसके अलावे साथानीय स्तर पर रजिस्ट्रेशन के दौरान स्क्रीनिंग में बाकी शहरों से आने वाले व्यक्ति में भी कोई लक्षण दिखेगा, तो फिर जांच रिपोर्ट आने तक उसे क्वारंटाइन सेंटर में ही रहना होगा। बिहार में फिलहाल 2,166 कोरोना पॉजिटिव मामले पाए गए हैं, जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक प्रवासी मजदूर हैं।