बिहार विधानसभा चुनाव 2020: नई अपग्रेडेड EVM मशीन पर पड़ेंगे वोट

अजय वर्मा
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पटना: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में नई अपग्रेडेड ईवीएम (EVM) का प्रयोग होगा। दरअसल पिछले चुनाव तक अधिकांश दलों की शिकायत थी कि सत्ताधारी दल मशीन को हैक कराकर नतीजा अपने पक्ष में कर लेते हैं। चुनाव आयोग से शिकायतें भी की गयी थी। बाद में आयोग ने इसमें सुधार की बात भी कही। इन्हीं सुधारों में आती है एम 3 मशीन। बिहार चुनाव में ईवीएम के इसी अपग्रेडेड वर्जन का इस्तेमाल होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में इनका इस्तेमाल हो चुका है।

EVM के थर्ड जेनरेशन में होंगी नई खूबियां

अब तक के ईवीएम में कुल 64 उम्मीदवारों की वोटिंग की जानकारी दर्ज की जाती रही है। एक बैलेटिंग यूनिट में 16 उम्मीदवार होते हैं। इससे ज़्यादा हुए तो चार यूनिट तक जोड़ी जा सकती थी। अब एम 3 में 24 यूनिट तक जोड़कर कुल 384 उम्मीदवारों की जानकारी दर्ज की जा सकती है। इसमें सेल्फ डायग्नोस्टिक फीचर है। मशीन खुद जांच कर सकती है कि उसका काम सही हो रहा है या नहीं। कोई दिक्कत होगी, तो कंट्रोल यूनिट की स्क्रीन पर दिखेगी।

इसमें डिजिटल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट दोनों के कोड मैच होने चाहिए। अगर कोई दूसरी मशीन या डिवाइस बाहर से इंसर्ट करने की कोशिश की जाए, तो कोड मैच नहीं करेगा। सिस्टम खुद बंद हो जाएगा। यही डिजिटल सर्टिफिकेट है। यह टैंपर्ड प्रूफ होगी यानी किसी तरह की छेड़छाड़ हो तो मशीन सिग्नल देगी। मशीन खोलने की कोशिश करने पर ये शट डाउन हो जाती है।

इसमें चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता। इसे इंटरनेट या दूसरे नेटवर्क से कंट्रोल नहीं किया जा सकता। इसे सरकारी कंपनियों इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, हैदराबाद और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL), बेंगलुरू ने बनाया है।

कब हुआ EVM का पहला प्रयोग ?

चुनावों में पहले बैलेट पेपर इस्तेमाल होते थे लेकिन इसमें समय काफी लगता था। 1982 में पहली बार ईवीएम का केरल के पारूर विधानसभा उपचुनाव में प्रयोग हुआ था। लेकिन विवादों के बाद रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट, 1951 में संशोधन कर 1988 में चुनावी प्रक्रिया में ईवीएम (EVM) को कानूनन शामिल किया गया। बाद में पारदर्शिता लाने के लिए VVPAT का इस्तेमाल शुरू किया गया। फिर भी टैंपरिंग के आरोप लगते रहे तब इस अपग्रेडेड वर्जन को लाया गया है।

आयोग कार्यालय के मुताबिक लोकसभा चुनाव में बिहार में कुछ जगहों पर इनका इस्तेमाल हुआ था, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर इनका पूरी तरह इस्तेमाल किया जाएगा।

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समाचार संपादक
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