पटनाः आगामी चुनावों को लेकर बिहार में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नें जहां प्रदेश में दो जगहों पर भाजपा समर्थकों को संबोधित किया, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव ने एक ही मंच से ‘महागठबंधन’ की संयुक्त रैली की।
भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह ने पश्चिम चंपारण के बाल्मीकी नगर और राजधानी पटना में जनसभाओं के साथ राज्य के अपने दौरे की शुरुआत की। जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन के सहयोगियों संग पूर्णिया में हुंकार भरी।
पश्चिम चंपारण जिले में रैली के कुछ घंटे बाद अमित शाह बिहार की राजधानी पटना पहुंचे। यहां उन्होंने किसान नेता और महान स्वतंत्रता सेनानी स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती मनाने के लिए आयोजित ‘किसान मजदूर समागम’ में हिस्स्ला लिया और भारी संख्या में जुटे कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इसके बाद गृह मंत्री शाह गुरु गोबिंद सिंह की जन्मस्थली पटना साहिब गए और तख्त हर-मंदिर साहब में माथा टेका।
इधर दोपहर के आसपास पूर्णिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कांग्रेस एवं वाम दलों जैसे महागठबंधन के सहयोगियों के साथ एक मंच से चुनावी समर का शंखनाद किया।
शाह की बिहार यात्रा को लेकर राज्य भाजपा के प्रवक्ता और ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा, “भाजपा संगठनात्मक ताकत और वैचारिक प्रतिबद्धता के दो स्तंभों पर खड़ी है और केंद्रीय गृह मंत्री की बिहार यात्रा उसी की पुष्टि है।”
उन्होंने आरोप लगाया, ”दूसरी तरफ महागठबंधन ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सीमांचल इलाके को मुस्लिम तुष्टिकरण का कार्ड खेलने के लिए चुना है।”
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी, जिसके डिप्टी सीएम हैं और जो ‘महागठबंधन’ के सबसे बड़े घटक भी हैं, ने पलटवार किया।
तिवारी ने कहा, “पूर्णिया की रैली भाजपा को सत्ता से बाहर करने की लड़ाई का बिगुल बजाएगी। अमित शाह की यात्रा से कुछ हासिल नहीं होगा। गृह मंत्री के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करने की संभावना है, जो 2024 के चुनावों में भाजपा के लिए एकमात्र उम्मीद है।”