अखिलेश यादव की रणनीति, चाचा शिवपाल के क्षेत्र में नहीं घुंसेगी सपा की साइकिल

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लखनऊः बिहार में भले ही चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच छिड़ी पार्टी और परिवार की लड़ाई से लोक जनशक्ति पार्टी दो फाड़ हो गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इस बार समाजवादी पार्टी के चाचा-भतीजा के बीच जंग नहीं होगी। सपा की साइकिल चाचा शिवपाल के क्षेत्र में नहीं घुंसेगी। जी हाँ, इसका संकेत आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बनाई गई अखिलेश यादव की रणनीति में शामिल हैं।

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जसवंतनगर से शिवपाल के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगी सपा

इसका संकेत देते हुए अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी उनके चाचा शिवपाल यादव के विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर से अपने उम्मीदवार को खड़ा नहीं करेगी। अखिलेश यादव ने अब इससे भी बढ़कर दोस्ती का हाथ चाचा की ओर बढ़ाया है। उन्होंने संकेत दिया है कि वह चाचा शिवपाल के कुछ अन्य वफादार और विश्वसनीय उम्मीदवारों के खिलाफ भी समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।

शिवपाल को देंगे कैबिनेट में जगह

इतना ही नहीं, अगर राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है और उनके चाचा शिवपाल यादव भी चुनाव जीत जाते हैं तो ऐसी स्थिति में वह अपने चाचा को अपनी कैबिनेट में प्रमुख जगह भी देंगे। अखिलेश यादव की इस रणनीति की एक खास वजह यह है कि उनके चाचा शिवपाल यादव भी अब उनके खिलाफ वर्ष 2017 की तरह आक्रामक नहीं हैं।

वोटों का ध्रुवीकरण रोकने की कवायद

अखिलेश यादव की इस रणनीति के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि वह नहीं चाहते हैं कि राज्य में यादव और मुस्लिम वोट में बंटवारा हो। राज्य का एक बड़ा यादव वर्ग है जो उनके चाचा शिवपाल यादव के साथ जुड़ा हुआ है। इसके अलावा वह किसी को यह कहने का अवसर भी नहीं देना चाहते हैं कि जो नेता परिवार को एक नहीं रख सकता है वह पार्टी और राज्य को एक कैसे रखेगा। अपनी इस रणनीति के तहत अखिलेश यादव राज्य में समाजवादी पार्टी को एक मजबूत विकल्प के तौर पर लोगों के सामने रखना चाहते हैं।

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