प्लाज्मा रिच प्रिसिपिटेट से ऑस्टियोअर्थराइटिस का उपचार संभव- डाॅ. आशीष सिंह

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पटना: ऑस्टियोअर्थराइटिस (Osteoarthritis) गठिया का सबसे आम रूप है। यह जॉइंट्स के बिगड़ने से होता है। आमतौर पर इसे बढ़ती उम्र के साथ होने की संभावना होती है, लेकिन आज कल की बदलती जीवनशैली और फिजिकल एक्टिविटी कम होने से यह कम उम्र के लोगों में भी देखा जाने लगा है। इसके बारे में जानकारी, वजन पर कंट्रोल और व्यायाम से इसे काफी हद तक काबू में किया जा सकता है। अनूप इंस्टिट्यूट ने इस बीमारी को दूर करने को लेकर एक पहल की है। जिससे एक उम्मीद की नई किरण सामने आई है। यह कहना है अनूप इंस्टिट्यूट के रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी एक्सपर्ट डॉक्टर आशीष सिंह का।

PRP से होगा ऑस्टियोअर्थराइटिस का इलाज संभव

डॉक्टर आशीष सिंह ने बताया कि Plasma Rich Precipitate (PRP) अनिवार्य रूप से कई और प्लेटलेट्स वाला प्लाज्मा है। PRP, जिसे ऑटोलॉगस प्लेटलेट जेल भी कहा जाता है, ग्रोथ फैक्टर (PRGAF) से भरपूर प्लाज्मा, Platelet Concentrate (PC), अनिवार्य रूप से सेंट्रीफ्यूजेशन के बाद प्लाज्मा की एक छोटी मात्रा में निलंबित ऑटोलॉगस प्लेटलेट्स की बढ़ी हुई सांद्रता है। डाॅ. आशीष ने यह भी बताया कि इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि इस विधि से इलाज करने पर वैसे कारक जो इलाज में बेहतर रोल निभा सकते हैं, उन कारकों में वृद्धि होती है। जिससे इलाज की प्रक्रिया और बेहतर हो जाती है।

डॉक्टर आशीष ने बताया कि इस विधि में मरीज के ब्लड को लिया जाता है और उस ब्लड को एक विशेष प्रकार के सिरिंज में तब तक रखा जाता है जब तक वह Platelet Poor Plasma (PPP) प्लाज्मा रिच प्रिसिपिटेट और रेड ब्लड सेल (RBC) जैसी तीन परत में अलग न हो जाये। हमारे संस्थान में हम इसे एक डे केयर प्रक्रिया के रूप में या आउट पेशेंट सेवाओं के रूप में करते हैं। इसकी लागत हैलीरोनिक एसिड तकनीक की तुलना में काफी कम है। PRP तकनीक के साथ इलाज किये गए मरीज को इंजेक्शन देने के बाद उसका लाभ चार से छह सप्ताह के बीच दिखने लगता है।

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