बिहार बॉर्डर तक पहुंचे बिहारी मजदूरों को बैरंग लौटाया, पत्रकारों को कवरेज से रोका

पुष्कर

सिवानः जिले के गुठनी प्रखंड में एक मुहावरा ” न घर के रहे न घाट के” उस समय चरितार्थ हो गया जब हालात से जूझते बिहार पहुंचे 60 मजदूरों को स्थानीय प्रशासन ने जबरन वापस भेज दिया। ये सभी मजदूर मूल रुप से बिहार के ही रहने वाले हैं और रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेशों में काम करते हैं। कोरोना की वजह से देश भर में जारी लॉकडाउ से बेरोजगार और बेघर हो गए हैं।

जानकारी के मुताबिक शनिवार की रात 10 बजे एक ट्रक में सवार होकर यूपी के रास्ते मजदूरों का ये जत्था जैसे ही बिहार-यूपी बॉर्डर पहुंचा, गुठनी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी द्वारा उन्हे रोक दिया गया। किसी तरह घर की चौकठ तक पहुंचे मजदूर गिड़गिड़ाते रहे, हाथ पैर जोड़ते रहे, लेकिन किसी ने उनकी एक ना सुनी और उसी ट्रक से जबरन उन्हे फिर से वापस भेज दिया।

इधर इस बात की जानकारी जैसे ही स्थानीय पत्रकारों को लगी वो न्यूज़ कवरेज के लिए बॉर्डर पहुंच गए। पत्रकारों ने अभी मामले की जानकारी लेनी शुरू ही की थी कि अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया और न्यूज़ कवरेज करने पर कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देने लगे। किसी तरह से पत्रकारों ने अधिकारियों से बचते-बचाते कुछ तस्वीरें उतारी और इसकी सूचना स्थानीय विधायक को दी। सूचना पाकर विधायक सत्यदेव राम मौके पर पहुंच गए हैं और मौजूद अधिकारियों से इसकी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।

आपको बता दें जब से देश में कोरोना ने कहर बरपाया है सरकार ने पुरे देश में लॉकडाउन की मुनादी करवा दी है।  लॉकडाउन होने के बाद से हजारों की तादाद में दूसरे प्रदेशों में रोजी-रोटी कमा रहे बिहारी मजदूरों के सामने संकटों का पहाड़ टूट गया है। भूख-प्यास से जूझते मजदूर किसी तरह से अपने घर पहुंचने के जद्दोजहद कर रहे हैं।

Share This Article
Leave a Comment