पटनाः लोकसभा सीटों के प्रस्तावित परिसीमन (Lok sabha delimitation 2026) को लेकर सामने आए ताजा अनुमानों के मुताबिक बिहार इस प्रक्रिया का बड़ा लाभार्थी बन सकता है। परिसीमन के बाद बिहार में लोकसभा सीटों की संख्या 40 से बढ़कर 76 होने का अनुमान है। यानी राज्य को 36 अतिरिक्त सीटें मिल सकती हैं, जो मौजूदा संख्या से करीब 90 प्रतिशत ज्यादा हैं।
जनसंख्या के आधार पर होने वाले इस परिसीमन का असर देश की राजनीति पर व्यापक रूप से पड़ने वाला है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में इसका प्रभाव सबसे अधिक दिखाई दे रहा है।
उत्तर भारत में सीटों में बड़ी बढ़ोतरी
अनुमानों के अनुसार, उत्तर और मध्य भारत के कई राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या में तेज बढ़ोतरी होगी। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार दूसरा ऐसा राज्य होगा, जहां सीटों की संख्या में सबसे अधिक इजाफा देखने को मिल सकता है।
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उत्तरी राज्य |
मौजूदा सीटें |
परिसीमन के बाद अनुमानित सीटें |
बढ़ोतरी |
|
उत्तर प्रदेश |
80 |
147 |
+67 (84%) |
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बिहार |
40 |
76 |
+36 (90%) |
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मध्य प्रदेश |
29 |
53 |
+24 (83%) |
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राजस्थान |
25 |
50 |
+25 (100%) |
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झारखंड |
14 |
24 |
+10 (71%) |
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हरियाणा |
10 |
18 |
+08 (80%) |
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छत्तीसगढ़ |
11 |
18 |
+07 (64%) |
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दिल्ली |
07 |
12 |
+05 (42%) |
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कुल |
276 |
398 |
+182 (84.2%) |
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दक्षिणी राज्य |
मौजूदा सीटें | परिसीमन के बाद अनुमानित सीटें |
बढ़ोतरी |
|
आंध्र प्रदेश |
25 |
37 |
+12 (48%) |
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कर्नाटक |
28 |
45 |
+17 (60%) |
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केरल |
20 |
24 |
+04 (20%) |
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तमिलनाडु |
39 |
53 |
+14 (36%) |
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तेलंगाना |
17 |
25 |
+08 (47%) |
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कुल |
129 |
184 |
+55 (42.6%) |
दक्षिणी राज्यों की तुलना में बिहार को ज्यादा फायदा
दक्षिण भारत के पांच प्रमुख राज्यों—आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना—में कुल मिलाकर सीटों की संख्या 129 से बढ़कर 184 होने का अनुमान है, यानी 55 सीटों की बढ़ोतरी।
वहीं केवल बिहार में ही 36 नई सीटें जुड़ने की संभावना जताई जा रही है। इस कारण राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि परिसीमन के बाद संसद में उत्तर भारत, खासकर बिहार की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
बिहार की राजनीति पर क्या होगा असर
Lok sabha delimitation 2026 के बाद बिहार से सांसदों की संख्या बढ़ने से राज्य का राजनीतिक महत्व बढ़ेगा। केंद्र में सरकार गठन के लिए बिहार एक निर्णायक राज्य के रूप में उभर सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक-
- राष्ट्रीय दलों की चुनावी रणनीति में बिहार की अहमियत बढ़ेगी
- गठबंधन राजनीति में राज्य के क्षेत्रीय दलों की सौदेबाजी की ताकत बढ़ेगी
- केंद्र सरकार पर विकास और संसाधनों को लेकर दबाव भी बढ़ेगा
परिसीमन को लेकर राजनीतिक बहस तेज
Lok sabha delimitation 2026 को लेकर दक्षिणी राज्यों में यह तर्क दिया जा रहा है कि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन किया है, इसके बावजूद उनकी राजनीतिक हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम बढ़ रही है। वहीं उत्तर भारत, खासकर बिहार जैसे राज्यों में सीटों की संख्या में बड़ी छलांग देखने को मिल रही है।
कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि लोकसभा परिसीमन 2026 बिहार के लिए एक बड़ा राजनीतिक बदलाव लेकर आ सकता है। सीटों की संख्या लगभग दोगुनी होने से बिहार संसद में पहले से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में होगा। इसका असर न केवल राज्य की राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि केंद्र की सत्ता संरचना पर भी साफ तौर पर दिखाई देगा।