लखनऊः उन्नाव दुष्कर्म कांड (Unnao Rape Case) में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। इस बार वजह बनी है उनकी बेटी ऐश्वर्या सेंगर (Aishwarya Sengar) का तीखा और भावनात्मक बयान, जिसमें उन्होंने कहा है—“अगर मेरे पिता ने पीड़िता की तरफ आंख उठाकर भी देखा हो, तो उन्हें फांसी दे दी जाए।”
Aishwarya Sengar के इस बयान के बाद न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि सामाजिक और न्यायिक विमर्श में भी नई बहस छिड़ गई है। एक तरफ अदालतों में सजा काट रहा एक प्रभावशाली नेता है, तो दूसरी तरफ एक पीड़िता और उसका परिवार, जो पिछले कई वर्षों से न्याय और सुरक्षा की लड़ाई लड़ रहा है।
Aishwarya Sengar का बयान: ‘सबूत हो तो फांसी मंजूर’
कुलदीप सेंगर की बेटी Aishwarya Sengar ने मीडिया से बातचीत में कहा कि—उन्हें अपने पिता की बेगुनाही पर पूरा भरोसा है। अगर कोई यह साबित कर दे कि उनके पिता ने पीड़िता की ओर गलत नीयत से देखा तक है, तो उन्हें फांसी की सजा भी स्वीकार है। उनका दावा है कि यह मामला पुरानी पारिवारिक रंजिश का नतीजा है।
ऐश्वर्या सेंगर ने यह भी आरोप लगाया कि—पीड़िता के चाचा एक हिस्ट्रीशीटर हैं। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वे फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। सेंगर परिवार और पीड़िता के परिवार के बीच पहले से दुश्मनी रही है। बेटी का कहना है कि इसी दुश्मनी के चलते उनके पिता को फंसाया गया।
उन्नाव बलात्कार कांड: कैसे शुरू हुआ पूरा मामला
यह मामला 2017 में सामने आया था, जब उन्नाव की एक नाबालिग लड़की ने तत्कालीन विधायक कुलदीप सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि विधायक ने उसके साथ जबरन संबंध बनाए। स्थानीय पुलिस ने शुरुआत में कार्रवाई नहीं की। मामला बढ़ने पर सीबीआई जांच हुई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ट्रायल दिल्ली स्थानांतरित हुआ
दुष्कर्म मामले में कोर्ट का फैसला और सजा
2019 में दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को दुष्कर्म का दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई, साथ ही जुर्माना भी लगाया गया।
कुलदीप सिंह सेंगर को अन्य मामलों में सजा
पीड़िता के पिता की हिरासत में पिटाई और बाद में मौत के मामले में भी सेंगर दोषी पाए गए। सेंगर के ऊपर गवाहों को धमकाने, अवैध हथियार रखने जैसे मामलों में अलग-अलग सजाएं हुईं।
कार हादसा और गवाहों की मौत
इस केस का सबसे भयावह अध्याय वह था जब—पीड़िता और उसके परिवार के साथ भीषण सड़क हादसा हुआ। हादसे में पीड़िता की दो चाची की मौत हो गई। बाद में हादसे को अंजाम देने वाला ट्रक चालक भी मृत पाया गया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और केस को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना दिया।
राजनीतिक असर
कुलदीप सेंगर को भाजपा से निष्कासित किया गया। विपक्ष ने इसे “सत्ता संरक्षण” का उदाहरण बताया। योगी सरकार पर शुरुआती ढिलाई के आरोप लगे
जमानत विवाद और सुप्रीम कोर्ट की दखल
हाल के महीनों में दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर को सशर्त जमानत दी, जिसका सीबीआई ने विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। फिलहाल सेंगर जेल में ही हैं।
पीड़िता पक्ष की चिंता
पीड़िता और उसके परिवार का कहना है कि आरोपी के बाहर आने से उनकी जान को खतरा है। उन्हें लगातार डर और असुरक्षा में जीना पड़ रहा है। न्याय प्रक्रिया में देरी उनके लिए मानसिक सजा बन चुकी है।
दो परिवार, दो कहानियाँ
उन्नाव दुष्कर्म कांड में मामला आज दो अलग-अलग कथाओं में बंटा दिखता है। दोनों पक्ष की अपनी-अपनी दलीलें हैं, अपना-अपना रोना है।
सेंगर परिवार का पक्ष
- राजनीतिक साजिश
- झूठा फंसाने का आरोप
- पुरानी दुश्मनी
पीड़िता का पक्ष
- सत्ता का दुरुपयोग
- डर, धमकी और हिंसा
- वर्षों की न्यायिक लड़ाई
न्याय बनाम प्रभाव
कुलदीप सेंगर मामला अब सिर्फ एक आपराधिक केस नहीं रह गया है। यह सत्ता और कानून के टकराव, पीड़िता की सुरक्षा, प्रभावशाली लोगों की जवाबदेही और न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता का प्रतीक बन चुका है।
बेटी का बयान जहां भावनात्मक अपील के रूप में देखा जा रहा है, वहीं अदालतों के फैसले यह स्पष्ट करते हैं कि न्याय भावनाओं नहीं, सबूतों पर टिका होता है।
अब अंतिम फैसला न्यायपालिका के हाथ में है और देश की निगाहें एक बार फिर उसी सवाल पर टिकी हैं- क्या कानून वास्तव में सबके लिए बराबर है?