IIT-ह्यूस्टन से बैतूल के जंगलों तक- डॉ. आलोक सागर की प्रेरक जीवन यात्रा

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बैतूलः एक ओर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों-IIT दिल्ली, यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन और टेक्सास-से शिक्षा प्राप्त कर चमकदार करियर चुनने वाले लाखों युवा हैं, तो दूसरी ओर एक नाम है डॉ. आलोक सागर (Dr. Alok Sagar), जिन्होंने तमाम सुविधाओं, पद-प्रतिष्ठा और करोड़ों की निजी संपत्ति को किनारे रखकर जीवन का रास्ता ही बदल दिया।

बीते 32 वर्षों से मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के आदिवासी इलाकों में रह रहे डॉ. सागर न सिर्फ वहां के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं, बल्कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की राह पर आगे बढ़ा रहे हैं।

चमकते करियर को छोड़ा, मिट्टी से रिश्ता जोड़ा

आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिग्री, अमेरिका से पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टरल शोध… और फिर शिक्षक के तौर पर पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन के प्रोफेसर।

करियर ऊँचाइयों पर था, लेकिन मन असल भारत की सेवा में लगा था। डॉ. सागर ने वह रास्ता चुना जिसे चुनने की हिम्मत बहुत कम लोग कर पाते हैं-आदिवासियों के बीच रहकर उनकी जिंदगी बदलने का रास्ता।

सादगी उनका परिचय, सेवा उनका धर्म

दिल्ली में करोड़ों की संपत्ति होने के बावजूद डॉ. सागर बैतूल में घास-फूस की एक झोपड़ी में रहते हैं। उनके पास केवल तीन कुर्ते और आवागमन के लिए एक साइकिल है-क्योंकि उनका मानना है कि प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना भी जीवन जिया जा सकता है।

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कई भारतीय और विदेशी भाषाओं के ज्ञाता डॉ. सागर आदिवासियों से उन्हीं की भाषा में बात करते हैं। यही वजह है कि स्थानीय लोग उन्हें परिवार जैसा मानते हैं।

वन, पर्यावरण और आजीविका-एक साथ

Dr. Alok Sagar ने गांवों के आसपास के जंगलों में अब तक लाखों फलदार पौधे लगवाए हैं। यह सिर्फ पौधारोपण नहीं, बल्कि आदिवासी परिवारों को दीर्घकालिक आजीविका देने का प्रयास है। साइकिल से घूमते हुए वे रास्ते भर बीज इकट्ठे करते हैं और ग्रामीणों को देते हैं। “जंगल बचेंगे तो जीवन बचेगा”-वे यह बात हर युवा, हर परिवार तक पहुंचा चुके हैं।

शिक्षा को हथियार बनाकर बदली कई पीढ़ियों की सोच

गांवों में शिक्षा का प्रसार डॉ. सागर का सबसे बड़ा मिशन रहा है। वे आदिवासी बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाने के साथ-साथ उनमें आत्मविश्वास और अधिकारों की समझ जगाते हैं। आज उनके प्रयासों के कारण कई युवा उच्च शिक्षा और सरकारी सेवाओं में भी पहुंचे हैं।

सम्मान नहीं, समाज की मुस्कान चाहिए- Dr. Alok Sagar

सरकार ने जब उन्हें पद्म पुरस्कार के लिए प्रस्ताव दिया, तो उन्होंने सम्मानपूर्वक इनकार कर दिया। उनका स्पष्ट संदेश था- “सम्मान ज़रूरी नहीं, समाज का कल्याण ज़रूरी है।”

एक प्रेरक मिसाल, जिसने जीवन का अर्थ बदल दिया

डॉ. आलोक सागर (Dr. Alok Sagar) की कहानी उन लोगों से अलग है जो सुविधाओं की ओर भागते हैं। उन्होंने दिखा दिया कि सच्ची संतुष्टि पद, पैसे या पहचान में नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने में है।

कहने को यह एक व्यक्ति की कहानी है, लेकिन असल में यह एक विचार है- कि अगर नीयत साफ हो और दिल में देश की सेवा का भाव हो, तो एक अकेला शख्स भी हजारों जिंदगियां रोशन कर सकता है।

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