फिर बिगड़े मांझी के बोल, कहा- हिंदू बनकर रहे गुलाम, ब्राह्मण करते हैं मांस-मदीरा का सेवन

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पटनाः राजनीति शब्दों की जादूगरी है। जिनके शब्द ज्यादा प्रभावशाली होंगे सियासत में उनकी जड़ें उतनी ही मजबूत होगीं। लेकिन कुछ लोग हैं जो विवादित बयान देकर शुर्खियां बटोरना चाहते हैं। मामला बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के एक बयान से जुड़ा है। करोड़ो लोगों के आस्था से जुड़े भगवान राम के बजूद पर सवालिया निशान लगाकर विवादों में रह चुके मांझी ने एक फिर से विवादित बयान दिया है। मांझी ने इस बार हिन्दू और ब्राह्मणों के उपर बयान दिया है।

गया स्थित घर पर भाजपा के हिंदू कार्ड के विरोध में बोलते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि हिंदू बनकर 75 साल से आज तक हम गुलाम बने हुए हैं, वहीं ब्राह्मणो को लेकर उनका कहना है कि पूजा कराने वाले लोग शराब पीते हैं और मांस भी खाते हैं।

बयान में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दू बनकर भी हमलोग 75 साल गुलाम रहे। हम अंबेडकर के साथ हैं। बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा से जात-पात के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश की है। लेकिन अब हिन्दू कार्ड नहीं चलने वाला है। हम मनुवादियों का विरोध करते हैं और अंबेडकर के साथ हैं।

ब्राह्मणों पर निशाना साधते हुए हम प्रमुख जीतनराम मांझी ने कहा कि हमारे यहां पंडित ठीक ढंग से पूजा पाठ नहीं कराता है। अगर पूजा-पाठ करा भी दिया तो वह खाना नहीं खाता है। मांझी ने कहा कि जो कराता भी है तो वह शराब पीता है और मांस खाता है। ऐसे पंडितों का हम विरोध करते हैं।

इससे पहले भी जीतन राम मांझी कई बार विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोर चुके हैं और फिर माफी मांगकर और बयानों का खंडन कर खुद को कीनारा भी कर चुके हैं। जमुई के सिकंदरा में आयोजित एक कार्यक्रम में जीतन राम मांझी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि राम कोई भगवान नहीं थे बल्कि वाल्मीकि और तुलसीदास के एक काव्य पात्र थे। मांझी इतने पर ही नहीं रुके बल्कि उन्होंने उच्च जाति और बड़े लोगों के खिलाफ भी बड़े बयान दिए थे। उन्होंने कहा था कि बड़े और उच्च जाति कहलाने वाले लोग बाहरी हैं, वह हमारे देश के मूल निवासी नहीं हैं। मांझी ने आगे कहा कि जो ब्राह्मण मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, झूठ बोलते हैं ऐसे ब्राह्मणों से पूजा पाठ कराना पाप है।

इससे पहले भी मांझी भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर चुके हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि श्रीराम कोई जीवित या महापुरुष थे, ऐसा वह नहीं मानते हैं। मांझी के इस बयान के बाद काफी हलचल रही थी और विपक्ष ने उनका जमकर घेराव किया था।

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