नई दिल्लीः ‘कट्टरपंथी’ इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ भारत सरकार ने कमर कस ली है। बुधवार-गुरुवार की देर रात लगभग 1 बजे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक साथ भारत के कई राज्यों में PFI पर भारी कार्रवाई की है। NIA और ED ने देश भर में फैले आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान इस्लामिक संगठन के शीर्ष नेताओं सहित 100 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है, जिसमें 300 NIA के अधिकारी शामिल थे।
PFI के खिलाफ NIA और ED की यह राष्ट्रव्यापि कार्रवाई जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हुई है, उनमें केरल, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुडुचेरी, असम, मणिपुर, महाराष्ट्र, गोवा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के नाम शामिल हैं।
सबसे अधिक PFI नेता केरल से हुए गिरफ्तार
गिरफ्तार किए गए कुल 106 PFI नेताओं में से 22 को केरल से, महाराष्ट्र और कर्नाटक से 20-20, तमिलनाडु से 10, असम से 09, उत्तर प्रदेश से 08, आंध्र प्रदेश से 05, मध्य प्रदेश से 04, दिल्ली और पुडुचेरी से 03 और राजस्थान से 02 को गिरफ्तार किया गया है।
कार्रवाई पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नज़र
PFI पर NIA की इस राष्ट्रव्यापि कार्रवाई पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नज़र बनाए हुए हैं और इसे लेकर उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। कहा जा रहै है कि शाह ने आतंकी संदिग्धों और आतंकी संगठन के कार्यकर्ताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई का खुद जायजा भी लिया था।
अपने नेताओं के खिलाफ संयुक्त आतंकवाद विरोधी छापे की निंदा करते हुए, PFI ने कहा कि वह एक ‘अधिनायकवादी शासन’ द्वारा की गई कार्रवाई पर “कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगा” और आरोप लगाया कि एजेंसी के दावों का उद्देश्य “आतंक का माहौल बनाना” है।
कार्रवाई के खिलाफ PFI की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद (NEC) ने एक बयान भी जारी किया है। बयान में PFI की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद (NEC) ने NIA और ED द्वारा राष्ट्रव्यापि छापे और भारत भर में अपने संगठन के राष्ट्रीय और राज्य के नेताओं, सदस्यों और समर्थकों की गिरफ्तारी को अन्यायपूर्ण और निंदनीय करार दिया है।