नीतीश की सेहत पर सवाल, भाजपा ने की शुरुआत अब राजद हमलावर

अभय पाण्डेय

पटनाः बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति को लेकर उठने वाले सवाल अब किसी एक घटना या एक दल तक सीमित नहीं रह गए हैं। समय के साथ यह मुद्दा इतना व्यापक हो गया है कि सत्ता बदलती रही, विपक्ष बदलता रहा, लेकिन आरोपों की प्रकृति नहीं बदली।

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आज राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विपक्ष में बैठकर नीतीश कुमार पर मानसिक स्थिति को लेकर सवाल उठा रहा है, तो कुछ वर्ष पहले यही काम भाजपा विपक्ष में रहते हुए करती थी। ताजा बुर्का प्रकरण ने इस बहस को फिर से ट्रेंड में ला दिया है।

विवाद की जड़: अचानक फैसले और अप्रत्याशित बयान

नीतीश कुमार के लंबे राजनीतिक करियर में कई ऐसे मौके आए, जब अचानक लिए गए राजनीतिक फैसले, सार्वजनिक मंचों पर दिए गए असामान्य बयान, और बार-बार गठबंधन बदलने की रणनीति ने विपक्ष को उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठाने का अवसर दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यही अस्थिरता इस बहस की बुनियाद बनी।

सदन के भीतर बड़ा विवाद: सेक्स और महिलाओं पर टिप्पणी

साल 2023 में जब नीतीश कुमार INDI अलायंस के साथ थे, तब बिहार विधानसभा में दिया गया उनका वह बयान, जिसमें उन्होंने सेक्स एजुकेशन और महिलाओं के संदर्भ में उदाहरण देते हुए टिप्पणी की, राजनीतिक तौर पर सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। बयान के बाद सड़क से सदन तक भारी हंगामा हुआ। विपक्ष में खड़ी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नीतीश को निशाने पर लिया और उनकी मानसिक स्थिति पर पहली बार सवाल खड़ा किया।

भाजपा ने इसे महिलाओं का अपमान बताया और नीतीश की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर उनकी आलोचना शुरू कर दी। दूसरी तरफ जद (यू) के सहयोगी रहे राजद और कांग्रेस ने इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बचाव किया और पूरे प्रकरण पर पर्दा डालते हुए विवाद को नीतीश के खिलाफ विपक्ष की कुंठीत मानसिकता करार दिया।

राष्ट्रगान विवाद: संवैधानिक गरिमा पर बहस

साल 2025 में जब नीतीश कुमार NDA में थे तब उनसे एक और विवाद जुड़ा। पटना के पाटलिपुत्र स्टेडियम में सेपक टापरा वर्ल्ड कप के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रगान के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित तमाम खिलाड़ी और अधिकारी खड़े थे। राष्ट्रगान गाया जा रहा था कि इसी बीच मुख्यमंत्री पत्रकारों और अधिकारियों का अभिवादन करने लगे और बगल में खड़े वरीय अधिकारी को इशारा करने लगे। विपक्ष ने उसे राष्ट्रगान का अपमान बताया।नीतीश के उस व्यवहार का वीडियो आज भी गाहे-वगाहे वायरल होता रहता है।

विपक्ष का आरोप

  • राष्ट्रगान के दौरान गंभीरता की कमी
  • राष्ट्रगान का अपमान
  • इधर-उधर देखने और बातचीत जैसे हाव-भाव मानसिक अस्थिरता के परिचायक
  • राजद ने इसे मुख्यमंत्री पद की गरिमा के खिलाफ बताया।

सरकार और सत्तारूढ़ दल की सफाई

  • वीडियो को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया
  • तथ्यहिन बातों को प्रचारित किया गया
  • विपक्ष जानबूझकर माहौल खराब कर रहा है

ताजा विवाद: बुर्का प्रकरण और नई बहस

अब इस पूरी श्रृंखला में बुर्का प्रकरण ने नया अध्याय जोड़ दिया है। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया या प्रशासनिक रुख को लेकर यह आरोप लगे कि सरकार का रुख संवेदनशील सामाजिक मुद्दों पर अस्पष्ट और भ्रमित दिख रहा है।

बुर्का प्रकरण राजनीतिक प्रतिक्रिया

राजद ने इसे मुख्यमंत्री की निर्णय क्षमता और मानसिक स्पष्टता से जोड़ दिया। सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो और बयान फिर वायरल किए गए। विपक्ष का आरोप है कि नीतीश कुमार अब ऐसे मामलों में स्पष्ट स्टैंड लेने में असमर्थ दिख रहे हैं। वे मानसिक रूप से बिमार हैं और मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की बागडोर संभालने में सक्षम नहीं हैं।

भाजपा का पुराना रिकॉर्ड: जब वही सवाल उठते थे

आज विपक्ष में बैठा राजद नीतीश कुमार की सेहत पर जो सवाल उठा रहा है, वही सवाल कभी भाजपा भी उठा चुकी है। हालांकि अब भाजपा की नज़र में नीतीश कुमार 16 आने फिट हैं और प्रदेश की बागडोर संभालने पूरी तरह सक्षम भी हैं।

महागठबंधन काल (2015–2017)

भाजपा ने नीतीश कुमार के भाषणों, राजनीतिक यू-टर्न और फैसलों को मानसिक अस्थिरता से जोड़कर देखा था।तब भाजपा नेताओं के बयान भी इसी तरह सुर्खियों में रहते थे जैसे आज RJD के बयान हैं।

नीतीश पर योगी आदित्यनाथ का बयान: राष्ट्रीय राजनीति में गूंज

नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर बहस को तब और धार मिली जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर टिप्पणी की। एक मंच से नीतीश कुमार के व्यवहार और निर्णयों पर योगी आदित्यनाथ का कटाक्ष इस बयान को आज भी विपक्ष समय-समय पर उद्धृत करता है।

नीतीश के बचाव में जदयू की प्रतिक्रिया भी पूरी मजबूती से सामने आती रही है। JDU तमाम बयानों को चुनावी राजनीति बताती रही है। हर बार JDU का कहना रहा है कि नीतीश की हरकतों का बिहार के विकास से कोई लेना-देना नहीं है

राजद का मौजूदा हमला: ‘चिंता का विषय’ या राजनीतिक हथियार?

सत्ता से बाहर होने के बाद राजद ने नीतीश कुमार पर हमले तेज कर दिए हैं।

नीतीश पर राजद के आरोप

  • सार्वजनिक व्यवहार में असंगति
  • सामाजिक मुद्दों पर अस्पष्ट बयान
  • बुर्का जैसे संवेदनशील मामलों में भ्रम

राजद का कहना है कि यह सब बिहार के लिए चिंता का विषय है।

नीतीश कुमार और जदयू का पक्ष

नीतीश कुमार और जदयू इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं और इसे विपक्ष की बेतुकि बनायबाजी करार कर रहा हैं। जदयू का तर्क है कि विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं, इसलिए व्यक्तिगत आरोप लगाए जा रहे हैं। सरकार का फोकस विकास और सामाजिक योजनाओं पर है।

राजनीतिक विश्लेषण: ट्रेंडिंग विवाद या स्थायी रणनीति?

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाना अब एक स्थायी राजनीतिक टूल बन चुका है। बुर्का प्रकरण जैसे ताजा मुद्दे पुराने विवादों को फिर से जिंदा कर देते हैं जिससे खबरें ट्रेंड में बनी रहती हैं।

मुद्दा नीतीश का नहीं, बिहार की राजनीति का है

बिहार की राजनीति में तस्वीर अब साफ है-सत्ता बदलती है, विपक्ष बदलता है, लेकिन आरोप वही रहते हैं। सदन में दिए गए विवादित बयान, राष्ट्रगान प्रकरण, योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी और अब बुर्का प्रकरण- इन सभी ने मिलकर नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर बहस को लगातार जिंदा रखा है। अब देखना यह है कि यह सियासी बहस वास्तविक जन-मुद्दों पर पहुंचेगी या फिर चुनावी मौसम में एक बार फिर ट्रेंडिंग हथियार बनकर रह जाएगी।

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आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।
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