PM की कुर्सी छोड़ी, किसानों का साथ नहीं- जयंती पर चौधरी चरण सिंह से जुड़े दिलचस्प किस्से

अभय पाण्डेय

नई दिल्लीः भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह का 123वीं जयंती (Chaudhary Charan Singh birth anniversary) आज पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जा रही है। सादा जीवन, दृढ़ सिद्धांत और किसानों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति में एक अलग ही पहचान रखते हैं। उनका जीवन केवल सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि गांव, खेत और किसान की पीड़ा को समझने की कहानी है।

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किसान का बेटा, किसान का नेता

23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में जन्मे चौधरी चरण सिंह का बचपन गांव और खेतों के बीच बीता। यही वजह रही कि सत्ता के उच्च पदों पर पहुंचने के बावजूद वे खुद को हमेशा किसान का सेवक मानते रहे। एक बार उनसे पूछा गया कि आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, तो उन्होंने मुस्कराकर कहा- “अगर किसान खुश है, तो वही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।”

प्रधानमंत्री पद से ज़्यादा सिद्धांत प्रिय

यह एक चर्चित किस्सा है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी चौधरी चरण सिंह ने कभी सत्ता से समझौता नहीं किया। समर्थन के अभाव में जब उनकी सरकार गिरी, तब भी उन्होंने पद से चिपके रहने की कोशिश नहीं की। उनके करीबी बताते हैं कि उन्होंने कहा था- “सत्ता आती-जाती रहती है, लेकिन सिद्धांत अगर चले गए तो सब खत्म हो जाता है।”

अफसरशाही से दो-टूक

चौधरी चरण सिंह की ईमानदारी और सख्ती के किस्से अफसरशाही में आज भी सुनाए जाते हैं। एक बार एक वरिष्ठ अधिकारी देर से मीटिंग में पहुंचे तो उन्होंने बिना झिझक कहा- “सरकार जनता के समय से चलती है, अफसरों की सुविधा से नहीं।” इस एक वाक्य ने पूरे प्रशासन को समय और जवाबदेही का महत्व समझा दिया।

किसानों के लिए ऐतिहासिक फैसले

उन्होंने जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार जैसे बड़े कदम उठाए, जिससे लाखों किसानों को जमीन का अधिकार मिला। उनका मानना था कि जब तक किसान मजबूत नहीं होगा, तब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।

सादा जीवन, ऊंच्च विचार

प्रधानमंत्री होने के बावजूद उनका रहन-सहन बेहद सादा रहा। न दिखावा, न तामझाम। कहा जाता है कि वे फिजूलखर्ची से इतने सख्त थे कि सरकारी खर्च का एक-एक पैसा खुद जांचते थे।

आज भी प्रासंगिक हैं चौधरी जी के विचार

आज, जब कृषि और ग्रामीण भारत फिर से बड़े बदलावों के दौर से गुजर रहा है, चौधरी चरण सिंह के विचार पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक लगते हैं। किसान, गांव और खेत को विकास की धुरी मानने वाली उनकी सोच आज भी नीति निर्धारकों को दिशा दिखाती है।

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चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन केवल एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि यह याद दिलाने का अवसर है कि राजनीति का असली मकसद सत्ता नहीं, बल्कि जनसेवा है।

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आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।