AmbiTag: IIT रोपड़ ने विकसित की तापमान दर्ज करने वाली पहली स्वदेशी डिवाइस

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नई दिल्लीः पंजाब स्थित आईआईटी रोपड़ (IIT Ropar) ने अपनी तरह की पहली अत्याधुनिक आईओटी डिवाइस- ऐम्बिटैग (AmbiTag) का विकास किया है। यह डिवाइस खराब होने वाले उत्पादों, वैक्सीन और यहां तक कि शरीर के अंगों व रक्त की ढुलाई के दौरान उनके आसपास का रियल टाइम तापमान दर्ज करती है। दर्ज किए गए इस तापमान से यह जानने में सहायता मिलती है कि दुनिया में कहीं भी भेजा गया कोई सामान तापमान में अंतर के कारण अभी तक उपयोग के योग्य है या खराब हो गया है। कोविड-19 वैक्सीन, अंगों और रक्त के परिवहन सहित वैक्सीन के लिए यह जानकारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

WADH परियोजना समन्वयक डॉ. सुमन कुमार ने कहा, “यूएसबी के आकार की डिवाइस, एम्बिटैग (AmbiTag) एक बार रिचार्ज होकर पूरे 90 दिन के लिए किसी भी टाइम जोन में -40 से +80 डिग्री तक के वातावरण में निरंतर तापमान दर्ज करती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध इस तरह की डिवाइस सिर्फ 30-60 दिनों तक की अवधि के लिए तापमान दर्ज करती हैं।”

उन्होंने कहा कि जब तापमान पूर्व निर्धारित सीमा से ऊपर जाता है तो यह एक अलर्ट जारी करती है। दर्ज किए गए डाटा को किसी कंप्यूटर को यूएसबी से जोड़कर हासिल किया जा सकता है। AmbiTag को प्रौद्योगिकी नवाचार हब- कृषि एवं जल तकनीकी विकास हब (WADH) और उसके स्टार्टअप स्क्रैचनेस्ट के तहत विकसित किया गया है। WADH भारत सरकार की एक परियोजना है। प्रो. कुमार ने कहा कि यह डिवाइस ISO 13485:2016, ईएन 12830:2018, CE और ROHS से प्रमाणित है।

सब्जियों, मीट और डेयरी उत्पादों सहित खराब होने वाले उत्पादों के अलावा यह परिवहन के दौरान जानवरों के सीमेन के तापमान की भी निगरानी कर सकता है। स्क्रैचनेस्ट के संस्थापकों और निदेशकों में से एक अमित भट्टी ने कहा, “अभी तक, ऐसी डिवाइसों को भारत में सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, आयरलैंड और चीन जैसे दूसरे देशों से बड़ी मात्रा में आयात किया जा रहा है।”

WADH परियोजना निदेशक, प्रो. पुष्पेंद्र पी. सिंह ने बताया कि आईआईटी रोपड़ प्रौद्योगिकी नवाचार हब एम्बिटैग के व्यापक उत्पादन की तैयारी कर रहा है। प्रो. सिंह ने कहा, “यह डिवाइस कोविड वैक्सीन के उत्पादन केंद्र से देश के किसी भी कोने में स्थित टीकाकरण केंद्र तक ढुलाई में लगी सभी कंपनियों को 400 रुपये की उत्पादन लागत पर उपलब्ध होगी। यह डिवाइस इस अभूतपूर्व महामारी में देश के लिए हमारी तरफ से छोटा सा योगदान है और इससे आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलता है।”

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