Bihar Politics Today: नीतीश कैबिनेट की शपथ; NDA में जश्न, महागठबंधन में महाकलह

अभय पाण्डेय
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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA को मिले प्रचंड जनादेश के बाद जहाँ सत्तारूढ़ गठबंधन अपने नए मंत्रिमंडल गठन का जश्न मना रहा है, वहीं महागठबंधन खेमे में भारी उथल-पुथल के बादल मंडरा रहे हैं। हार की जिम्मेदारी को लेकर घटक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है और संगठनात्मक स्तर पर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है।

लालू परिवार में टकराव से शुरू हुई फूट

महागठबंधन के सबसे बड़े दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में चुनाव परिणामों के बाद से ही बेचैनी साफ देखी जा रही है। तेजस्वी यादव की चुनावी रणनीति और फैसलों पर खुलकर सवाल उठाते हुए लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी और उनके करीबी सलाहकारों पर गंभीर आरोप लगाए।

इन बयानों ने न केवल राजद की अंदरूनी खींचतान को उजागर किया, बल्कि चुनावी हार के लिए जिम्मेदारियों पर नए सिरे से बहस भी छेड़ दी।

कांग्रेस में भी बगावत की आग

राजद ही नहीं, महागठबंधन का दूसरा अहम घटक कांग्रेस भी अंदरूनी विवाद से जूझ रहा है। पार्टी कार्यालय में उस समय तनाव की स्थिति बन गई जब पूर्णिया से निर्दलीय सांसद और कांग्रेस नेता पप्पू यादव कार्यकर्ताओं के गुस्से का शिकार बने।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पप्पू यादव एवं पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू पर टिकट बंटवारे में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि समर्पित नेताओं और पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर “पैसे लेकर” टिकट बांटे गए, जिसकी वजह से पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा।

महिला कांग्रेस अध्यक्ष का इस्तीफ़ा

कांग्रेस की कलह यहीं नहीं थमी। पार्टी की प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. सरवत जहाँ फ़ातिमा ने भी टिकट वितरण प्रक्रिया में महिलाओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार की और अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व ने चुनावी मैदान में सक्रिय और समर्पित महिला कार्यकर्ताओं को मौका नहीं दिया, जिसका सीधा असर पार्टी प्रदर्शन पर पड़ा। चुनाव में महिलाओं को उचित प्रतिनिध्त्व नहीं मिलने की पीड़ा के साथ अपने इस्तीफ़े को फातिमा ने अपने सोशल मीडिया पर भी साझा किया है।

सोशल मीडिया पर सरवत जहाँ का पोस्ट

महागठबंधन के भविष्य पर सवाल

एक ओर NDA तीसरी बार सत्ता में लौटने का उत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन पूरी तरह बिखरता हुआ नजर आ रहा है।

हार के बाद शुरू हुई समीक्षा के बजाय शीर्ष नेताओं के बीच खींचतान, रणनीतिक विफलताओं की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश और जातीय-संगठनात्मक समीकरणों को लेकर उठे सवालों ने विपक्षी गठबंधन की मजबूती पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

आगे की राह कठिन!

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि महागठबंधन अपनी हार के कारणों की गंभीर समीक्षा नहीं करता और नेतृत्व स्तर पर एकजुटता नहीं दिखाता, तो आने वाले महीनों में यह संकट और गहरा सकता है।

फिलहाल, राजद और कांग्रेस-दोनों ही दलों में जारी असंतोष यह संकेत दे रहा है कि महागठबंधन के सामने संगठनात्मक सुधार, नेतृत्व मजबूती और जनविश्वास बहाली तीन बड़ी चुनौतियाँ बनने वाली हैं।

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आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।